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Breaking News: अदालत में मस्जिद की 3 मंजिलें अवैध घोषित, मस्जिद कमेटी ने कहा:- हम खुद तोड़ेंगे, देखें रिपोर्ट

हिमांचल प्रदेश।

नगर निगम शिमला के आयुक्त की अदालत ने संजौली में बनी मस्जिद की पांच में से तीन मंजिलों को अवैध करार देते हुए उसे गिराने के आदेश दिए हैं। शनिवार को कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि मस्जिद कमेटी को अपने खर्चे पर दो महीने के भीतर अवैध निर्माण तोड़ना होगा।

वहीं कोर्ट के आदेश के बाद मस्जिद कमेटी ने कहा कि आदेश मंजूर है। इसे किसी भी अदालत में चुनौती नहीं देंगे और अवैध निर्माण खुद ही तोड़ेंगे।

कोर्ट के आदेश के अनुसार 21 दिसंबर से पहले इन आदेशों की पालना करनी होगी। मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ ने कहा कि कोर्ट से जो आदेश आया है, वह उन्हें मंजूर है।

कमेटी या वक्फ बोर्ड की ओर से आदेश को आगे चुनौती नहीं दी जाएगी और पैसा जुटाकर अवैध मंजिलों को तोड़ दिया जाएगा। कथित अवैध निर्माण का मामला साल 2010 से आयुक्त की कोर्ट में चल रहा था। साल 2012 में मस्जिद की दो मंजिलें थीं, जो साल 2018 तक पांच हो गईं। इसका नक्शा भी नगर निगम से पास नहीं करवाया गया था।

हाल ही में मल्याणा में दो गुटों में हुए विवाद के बाद संजौली मस्जिद का मामला उठा था। इसके बाद 2 सितंबर को अवैध निर्माण के विरोध में विभिन्न संगठनों और स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन किया था। देवभूमि संघर्ष समिति, हिंदू जागरण मंच, विश्व हिंदू परिषद और स्थानीय लोगों ने अवैध निर्माण पर कार्रवाई न करने पर सवाल उठाए थे। शिमला समेत प्रदेश भर में इस मामले को लेकर प्रदर्शन भी हुए।

शनिवार सुबह 11:10 बजे चक्कर स्थित आयुक्त कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। फैसला जानने की सभी में इतनी उत्सुकता थी कि पूरा कोर्ट रूम लोगों से भर गया। निगम के कनिष्ठ अभियंता जितेंद्र सामटा ने अवैध निर्माण की स्टेटस रिपोर्ट पेश की। आयुक्त ने इसे वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता को दिया और जवाब मांगा। इसके बाद आरती गुप्ता की अगुवाई वाली संजौली रेजिडेंट वेलफेयर सोसायटी के अधिवक्ता जगत पाल ने सोसायटी को पार्टी बनाने के लिए पक्ष रखा। आयुक्त ने पूछा कि आपको इस मामले में पार्टी क्यों बनाया जाए।

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अधिवक्ता ने कहा कि अवैध निर्माण गिराने का जो फैसला छह माह में होना चाहिए था, वह 15 साल से लटका है। सोसायटी के पास ऐसे तथ्य हैं जो इस मामले में फैसला सुनाने में मदद करेंगे। हालांकि, वक्फ बोर्ड और नगर निगम के अधिवक्ता ने सोसायटी को पार्टी बनाने के आवेदन का विरोध किया। कहा कि मामला स्पष्ट है और इसमें किसी तीसरी पार्टी की जरूरत नहीं है। एक घंटा 10 मिनट चली बहस के बाद दोपहर 12:20 बजे आयुक्त ने पार्टी बनाने के आवेदन पर शाम 4:00 बजे तक के लिए फैसला टाल दिया। शाम 4:00 बजे जैसे ही सुनवाई शुरू हुई तो आयुक्त ने सोसायटी को पार्टी बनाने का आवेदन खारिज कर दिया।

नीचे की दो मंजिलों पर 21 दिसंबर के बाद सुनवाई
मस्जिद कमेटी ने 12 सितंबर को नगर निगम के पास खुद अवैध निर्माण गिराने के लिए आवेदन किया था। आयुक्त ने इस आवेदन को मामले की सुनवाई में शामिल करते हुए शाम 4:30 बजे मस्जिद की तीन मंजिलें गिराने का फैसला सुनाया। नीचे की दो मंजिलों पर 21 दिसंबर के बाद सुनवाई होगी। फैसले से पहले और बाद में मस्जिद कमेटी की ओर से कोई एतराज या सवाल नहीं किया गया।


हमें कोर्ट का फैसला मंजूर है। हम इस फैसले को चुनौती नहीं देंगे और खुद अवैध निर्माण गिराने को तैयार हैं। इसके लिए हमने खुद ही 12 सितंबर को नगर निगम के पास आवेदन भी दिया था। कोर्ट का विस्तृत फैसला पढ़ने के बाद अवैध निर्माण तोड़ने के लिए काम करेंगे। – मोहम्मद लतीफ, अध्यक्ष मस्जिद कमेटी

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संजौली मस्जिद में हुए अवैध निर्माण को गिराने के आयुक्त कोर्ट के आदेश का देवभूमि संघर्ष समिति स्वागत करती है। समाज के हर वर्ग ने इस मामले को उठाया था, यह उनकी जीत है। -भरत भूषण, अध्यक्ष देवभूमि संघर्ष समिति

मस्जिद में अवैध निर्माण पर वक्फ बोर्ड, सोसायटी हुए आमने-सामने
संजौली मस्जिद में अवैध निर्माण से जुड़े मामले पर आयुक्त कोर्ट में सुनवाई के दौरान शनिवार को स्थानीय रेजीडेंट वेलफेयर सोसायटी और वक्फ बोर्ड आमने-सामने आ गए। सोसायटी ने इस मामले में पार्टी बनाने के लिए कोर्ट में आवेदन किया था। कोर्ट रूम में आयुक्त ने पूछा कि आपको क्यों पार्टी बनाया जाए। इस पर सोसायटी के अधिवक्ता ने कहा कि अवैध निर्माण गिराने का जो फैसला छह माह में होना चाहिए था, वह 15 साल से लटका हुआ है।

सोसायटी के पास ऐसे तथ्य हैं, जो फैसला सुनाने में मदद करेंगे। अधिवक्ता ने रिकॉर्ड पेश करते हुए दावा किया कि वक्फ बोर्ड इस मामले में झूठ बोलकर गुमराह कर रहा है। बोर्ड कह रहा है कि उसे मस्जिद में हुए अवैध निर्माण की जानकारी नहीं थी और उन्हें इस मामले में पहला नोटिस साल 2023 में मिला है।

वहीं, नगर निगम भी अभी तक दावा कर रहा था कि अवैध निर्माण से जुड़े इस मामले में साल 2010 से सलीम को ही नोटिस जारी होते रहे। 15 जून 2016 के बाद जब सलीम सुनवाई में नहीं आया तो वक्फ बोर्ड को पार्टी बनाया गया। सोसायटी के अधिवक्ता ने रिकॉर्ड पेश करते हुए कहा कि इस मामले में अब तक नगर निगम 38 नोटिस जारी कर चुका है। इनमें 27 नोटिस सलीम के नाम हैं तो 11 नोटिस वक्फ बोर्ड के नाम भी हैं। तीन मई 2010 को निगम ने पहला नोटिस सलीम को जारी किया था।

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वहीं, दो सितंबर 2010 को वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को भी नोटिस जारी हुआ था। इसके बाद साल 2011 में भी सलीम और वक्फ बोर्ड को कई नोटिस जारी किए गए। कहा कि ऐसे में यह कहना कि वक्फ बोर्ड को अवैध निर्माण का पता नहीं था, यह झूठ है।

सोसायटी ने मस्जिद में अन्य गतिविधियां चलाने और इस मामले में निगम पर भी सवाल उठाए। हालांकि, शाम को आयुक्त कोर्ट ने इनका आवेदन रद्द कर दिया। फैसला आने के बाद सोसायटी के अधिवक्ता ने कहा कि उनके आने से ही मामले में तेजी से फैसला आया है। सोसायटी इस मामले में पार्टी बनाने के लिए हाईकोर्ट में अपील नहीं करेगी।

वक्फ बोर्ड ने कहा, तीसरी पार्टी की जरूरत नहीं
वक्फ बोर्ड ने सोसायटी को तीसरी पार्टी के तौर पर शामिल करने के आवेदन का विरोध किया। कहा कि लोग यह मामला तय नहीं करेंगे। कहा कि रेजीडेंट सोसायटी के नाम पर सिर्फ एक आरती गुप्ता ने आवेदन किया है। आवेदन में सोसायटी के सदस्यों का कोई जिक्र तक नहीं है।

सोसायटी का नाम लेकर कोर्ट को मिसलीड किया गया है। मस्जिद में क्या हो रहा और क्या नहीं, वह जिला प्रशासन देखेगा। इस कोर्ट में यह चर्चा नहीं कर सकते। वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता ने सोसायटी से पूछा कि जब आपको 2010 से अवैध निर्माण का पता था तो आज तक साइलेंट क्यों रहे।

उधर, नगर निगम ने भी तीसरी पार्टी के आवेदन का विरोध किया। कहा कि इसकी जरूरत नहीं है। सोसायटी इस मामले में एपी और जेई की भूमिका पर सवाल उठा रही है जो गलत है। यह नगर नगम देखेगा कि इनकी कोई लापरवाही है या नहीं।

स्रोत im

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