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(बड़ी खबर) अब इस राज्य में भी जबरन मतांतरण के खिलाफ लागू होगा कानून, हैं- कड़े प्रावधान, पढ़ें पूरी खबर
चंडीगढ़:- जबरन मतांतरण के खिलाफ कानून बनाने वाला हरियाणा देश का सातवां राज्य बन जाएगा। विधानसभा के बजट सत्र के तीसरे दिन राज्य के गृहमंत्री अनिल विज ने हरियाणा विधि विरूद्ध धर्म परिवर्तन निवारण विधेयक-2022 पेश किया। इसमें जबरन मतांतरण करवाने वालों को दस साल तक की कैद की सजा का प्रविधान है। हरियाणा से पहले उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक में यह कानून बन चुका है।
हरियाणा में जबरन मतांतरण करने पर दस साल तक की कैद की सजा का किया गया है प्रविधान
विश्व हिंदू परिषद ने जबरन या अवैध रूप से मतांतरण करने वालों के खिलाफ कानून बनाने की मांग की शुरूआत सात साल पहले हरियाणा से ही की थी। इसके लिए विहिप ने हरियाणा के सबसे पिछड़े मेवात क्षेत्र से हिंदुओं के लगातार हो रहे पलायन की रिपोर्ट को आधार बनाया था। विहिप के अनुसार पलायन के चलते मेवात के 103 गांव हिंदू विहीन हो गए हैं। इसके बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मेवात के नूंह जिला मुख्यालय पहुंचकर इस कानून को बनाने की घोषणा की थी।
सात साल पहले विहिप ने हरियाणा से ही की थी जबरन मतांतरण विरोधी कानून बनाने मांग
हरियाणा विधि विरूद्ध धर्म परिवर्तन निवारण विधेयक-2022 के अनुसार राज्य में जबरन मतांतरण करवाने वालों के खिलाफ सजा की तीन श्रेणी बनाई गई हैं। विवाह के लिए झूठ बोलकर,अनुचित प्रभाव डालकर, प्रलोभन देकर या डिजिटल संसाधनों का इस्तेमाल कर मतांतरण कराने वाले को कम से कम एक साल और अधिकतम पांच साल की कैद तथा एक लाख रुपये जुर्माने की सजा का प्रविधान किया गया है।
विवाह के आशय से जो अपना धर्म छिपाएगा, उसके मतांतरण करने पर कम से कम तीन साल से अधिकतम दस साल की कैद और तीन लाख रुपये जुर्माने का प्रविधान किया गया है। व्यक्तिगत या संगठनों द्वारा सामूहिक मतांतरण करने वालों के कारावास की अवधि कम से कम पांच वर्ष और अधिकतम दस वर्ष सहित चार लाख रुपये जुर्माने का प्रविधान किया गया है।
कांग्रेस विधायक ने विधानसभा में फाड़ी विधेयक की प्रति
सदन में कांग्रेस के विधायक और हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष रह चुके डा. रघुबीर कादियान ने जबरन मतांतरण के खिलाफ कानून बनाने के लिए पेश विधेयक पर अपनी नाराजगी जताते हुए विधेयक की प्रति ही सदन में फाड़ दी। कांग्रेस के अन्य सदस्यों ने भी इस कानून को हरियाणा में अनुपयोगी बताया। इस पर सत्तापक्ष भाजपा-जजपा और कांग्रेस विधायकों के बीच तीखी-नोकझोंक हुई।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस कानून को जबरन या अवैध तरीकों से मतांतरण करने वालों के खिलाफ बताया। उन्होंने कांग्रेस विधायकों की तरफ इशारा करते हुए यहां तक कह दिया कि यदि सामने बैठे लोग इच्छापूर्वक धर्म परिवर्तन करना चाहें तो इस कानून में कोई आपत्ति नहीं है। कांग्रेस सदस्यों ने इस पर हंगामा खड़ा कर दिया। हालांकि बाद में मुख्यमंत्री ने अपने शब्द वापस ले लिए। विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने कांग्रेस के डा. रघुबीर कादियान के अर्मायदित आचरण पर उन्हें बकाया सत्र अवधि के लिए निलंबित कर दिया। इस पर कांग्रेस विधायकों ने सदन से वाकआउट किया।
‘अब राजस्थान में जबरन मतांतरण विरोधी कानून के लिए जनांदोलन करेगी विहिप’
” विश्व हिंदू परिषद हरियाणा में जबरन या अवैध मतांतरण करने वालों के खिलाफ कानून बनाने की मांग सात साल पहले ही कर चुकी है। सरकार ने थोड़ी देर से सही मगर यह कानून बनाने का निर्णय लिया। इसके लिए हम मुख्यमंत्री मनोहर लाल सरकार का आभार व्यक्त करते हैं। इस कानून से अवैध मतांतरण, लव जिहाद जैसे राष्ट्र विरोधी षड़यंत्र रोकने में मदद मिलेगी। विहिप को कांग्रेस से ऐसे कानून बनाने की उम्मीद नहीं है। अब तक छह राज्य पहले ऐसा कानून बना चुके हैं मगर राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने यह कानून नहीं बनाया। जबकि राजस्थान का मेवात ऐसे षड़यंत्रों से त्रस्त है। यह कानून सभी धर्मों के हित में है। इससे हरियाणा में परस्पर सौहार्द और शांति का माहौल बनेगा। विहिप आने वाले समय में राजस्थान में जबरन मतांतरण विरोधी कानून बनाने के लिए जनांदोलन खड़ा करेगी।
- डा. सुरेंद्र जैन, संयुक्त महामंत्री, विश्व हिंदू परिषद।
(इंटरनेट मीडिया)