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The Kashmir Files: जब यासिन मलिक ने टिकवा दिए थे सरकार के घुटने, सेना को भी हटना पड़ा था पीछे, तब कश्मीरी पंडितों के लिए सरकार से अकेले भिड़ गया था ये हिंदू हृदय सम्राट…..
विवेक अग्निहोत्री निर्मित “द कश्मीर फाइलस” देश भर में धूम मचा रही है। इस फिल्म में 1990 में कश्मीरी पंडितों पर हुए नरसंहार की दर्द भरी सच्चाई को बयान किया गया है। इसमें दिखाया गया कि कैसे कश्मीरी पंडितों को उनका घर बार छोड़कर भागना पड़ा। फिल्म में यासीन मलिक से लेकर बाल ठाकरे का भी जिक्र किया गया है। जिसके बाद एक बार फिर यासीन मलिक सुर्खियों में आ गया है। वह इस वक्त टेरर फंडिग के आरोपों को लेकर जेल की सलाखों के पीछे है। लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब भारत सरकार को इस यासीन मलिक के सामने झुकना पड़ा और उसकी मांगों को भी पूरा करना पड़ा। जिसके बाद बाल ठाकरे भड़क गए थे और उन्होंने मलिक और सरकार को जमकर सुनाया था।
बाल ठाकरे ने निभाई थी अहम भूमिका
आपको बता दे कि बाल ठाकरे ने उस वक्त अहम भूमिका निभाई थी। वे अकेले ऐसे शख्स थे जिन्होंने खुलकर कश्मीरी पंडितों का समर्थन किया और उनकी मदद के लिए भी हाथ आगे बढ़ाया। बालासाहेब ने उस वक्त एक किस्सा सुनाते हुए बताया कि हजरतबल मस्जिद के पास गढ्ढे खोदे गए थे। उस दौरान वहां सेना को भी तैनात किया था। इस बात से यासीन मलिक नाराज़ हो गया और उसने आमरण अनशन शुरू कर दिया। उसने मस्जिद के पास गढ्ढे खोदने से मना किया और कहा कि इससे मस्जिद को नुकसान हो सकता है और मांग की कि वहां से तैनात सेना को तुरंत हटाया जाए। उसके अनशन के कारण केंद्र सरकार दबाव में आ गई और उन्होंने वहां से सेना को वापिस बुला लिया। इस के बाद भी यासीन नहीं रूका और उसने एक टीवी शो के इंटरव्यू में महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस को दुनिया का सबसे बड़ा अपराधी करार दिया, पर उसके इस बयान पर उसपर कोई कारवाई नहीं हुई। इस पर बालासाहब ने कहा था कि यदि केंद्र सरकार इस तरह काम करेगी तो देश में भ्रष्टाचार के अलावा कुछ नहीं होगा।
कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार की कहानी
आजतक किसी भी फिल्म निर्देशक और निर्माता ने इतनी गहराई से और ईमानदारी से कश्मीरी पंडितों के दर्द को सक्रीन पर नहीं दिखाया। 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार की कहानी बहुत ही कम लोग जानते हैं। लोगों को यही बताया गया था कि कश्मीरी पंडित डर कर अपना घर छोड़ आए। पर ‘द कश्मीर फाइल्स’ देखकर अब लोग समझ रहे हैं कि कश्मीरी पंडितों ने डर से अपना घर छोड़ा या उस समय के क्रूर सिस्टम के आगे वो मजबूर हो गए। कश्मीरी पंडितों के साथ हुए उस नरसंहार कोई नहीं भूल सकता। उस दिन कश्मीरी पंडितों को उनके ही घर से बेदखल कर दिया गया। कश्मीर में रहने के लिए अल्लाहू अकबर कहने पर मजबूर किया गया। kashmir without Hindu Men and with Hindu women के नारे लगाए गए। कश्मीरी पंडितों के घरों के बाहर गंदे-गंदे सलोगन लिखे गए। घरों को जला दिया। उन दिनों के बारे में जितना कहा जाए, उतना कम है।
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