जन मुद्दे
यहां हिंदुओं को सुरक्षा देने में नाकाम ये सरकार, संघ ने उठाई महत्वपूर्ण मांग….
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने बांग्लादेश में इस्कान मंदिर पर हुए हमले की निंदा करते हुए शनिवार को कहा कि शेख हसीना सरकार हिंदुओं को सुरक्षा प्रदान करने में पूरी तरह से नाकाम है। उन्होंने भारत सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। इंद्रेश कुमार ने कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों से भी इस घटना की निंदा करने और सरकार के साथ मिलकर बांग्लादेश पर हिंदुओं पर हमले रोकने के लिए दबाव बनाने की अपील की।
हिंदुओं को सुरक्षा देने में विफल रही सरकार
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार हिंदुओं को सुरक्षा देने में विफल रही है जो बहुत ही गंभीर मामला है। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संस्थापक एवं मुख्य संरक्षक कुमार ने इस्कान मंदिर पर हमले को आतंकी हमला करार दिया और मुस्लिम समाज से भी इसकी निंदा करने की अपील की।
हर त्योहार पर हिंदुओं को बनाया जाता है निशाना
इंद्रेश कुमार ने कहा कि बांग्लादेश में हर त्योहार पर पूर्व नियोजित साजिश के तहत हिंदुओं पर हमला किया जाता है। पिछले नौ साल के अंदर हिंदुओं पर 3,679 हमले किए गए हैं। इनमें से 1,678 हमलों में हथियारों का इस्तेमाल किया गया है और मंदिरों में तोड़फोड़ की गई।
बांग्लादेश में 29 से घटकर मात्र नौ प्रतिशत रह गए हिंदू
हिंदुओं की सुरक्षा के लिए बांग्लादेश सरकार पर दबाव डालने के लिए कुमार ने भारत सरकार से हस्तक्षेप करने की अपील की। उन्होंने कहा कि हिंदुओं को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। यही कारण है कि बांग्लादेश में जहां 1971 में हिंदुओं की आबादी 29 प्रतिशत थी, जो घटकर नौ प्रतिशत पर आ गई है।
बांग्लादेश में निशाने पर हिंदू
समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक बांग्लादेश में एक बार फिर हिंदू मंदिर को निशाना बनाया गया है। इस्लामी चरमपंथी हाजी शफीउल्ला के नेतृत्व में 200 से ज्यादा लोगों ने ढाका के वारी इलाके में स्थित इस्कान मंदिर पर हमला किया और उसे तहस-नहस कर दिया। हमलावरों ने कई मूर्तियों को खंडित कर दिया, कई मूर्तियां अपने साथ लेते गए, मंदिर में जमकर लूटपाट की और कई श्रद्धालुओं को घायल भी कर दिया। भारतीय उच्चायोग स्थानीय प्रशासन के साथ ही हिंदू संगठनों और अधिकारियों के संपर्क में है।
200 से ज्यादा कट्टरपंथियों ने हमला किया
इस्कान मंदिर के जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) अमनी कृष्ण दास ने एएनआइ से कहा, ‘वारी में 222, लाल मोहन साह स्ट्रीट स्थित इस्कान राधाकांत जीव मंदिर पर हाजी शफीउल्ला के नेतृत्व में 200 से ज्यादा कट्टरपंथियों ने हमला किया, तोड़फोड़ और लूटपाट की। हमलावर कई मूर्तियां भी उठा ले गए। हमलावरों ने मंदिर की सुरक्षा दीवार को भी तोड़ने का प्रयास किया।’
कई श्रद्धालु घायल
दास ने बताया कि यह हमला 17 मार्च की रात आठ बजे किया गया। हमलावर सुमंत्र चंद्र श्रवण, निहार हलदर और राजीव भद्रम को उठा ले गए थे और उन्हें बुरी तरह मारापीटा। बाद में पुलिस की मदद से उन्हें मुक्त कराया गया। हमले में अन्य कई अन्य श्रद्धालु घायल हुए हैं। सभी को ढाका मेडिकल कालेज अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
लंबे समय से धमका रहा था शफीउल्ला
हमले के चश्मदीद रासमणि केशवदास ने बताया कि शफीउल्ला कई वर्षो से धमका रहा था और मंदिर छोड़ने के लिए कह रहा था। दास ने कहा कि शफीउल्ला ने पैसे देने की बात भी कही थी। उसके सहयोगी इशरफ सूफी ने जान से मारने की धमकी दी थी। दास ने कहा कि पुलिस के सामने भी कट्टरपंथी हमला करते रहे। पुलिस करने की बजाय उनका साथ ही देती है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बांग्लादेशी पीएम शेख हसीना से मदद की गुहार भी लगाई।
मंदिर की जमीन को लेकर विवाद
बांग्लादेश के अधिकारियों के मुताबिक इस्कान मंदिर की जमीन को लेकर विवाद इस हमले की वजह है। हाल ही में अदालत ने एक वादी के पक्ष में फैसला सुनाया था। इसके बाद उसने जबरन मंदिर की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की थी। स्थानीय प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद मामले को शांत कराया गया था। दोनों तरफ से केस दर्ज कराया गया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
पिछले साल भी हिंदू मंदिरों को बनाया गया था निशाना
बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों पर हमले की यह कोई पहली घटना नहीं है। अक्सर कट्टरपंथी मुस्लिम हिंदुओं और हिंदू मंदिरों को निशाना बनाते रहते हैं। पिछले साल 16 अक्टूबर में नोआखली में एक इस्कान मंदिर पर हमला किया गया था और तोड़फोड़ की गई थी। इससे तीन दिन पहले यानी 13 अक्टूबर को कुमिल्ला में एक दुर्गा पूजा पंडाल में कुरान का अपमान करने की अफवाह फैलाकर तोड़फोड़ की गई थी। इस घटना को लेकर कई जिलों में हिंसा भड़क उठी थी। कई जगहों पर हिंदुओं के घरों में लूटपाट भी की गई थी। कई लोगों को बुरी तरह से मारा पीटा भी गया था। यह सब खुलेआम हुआ और पुलिस मूकदर्शक बनी रही।
पीटीआई