उत्तराखंड
हल्द्वानी/देहरादून। ये मानवाधिकार संगठन गरीब विचाराधीन कैदियों की ऐसे कर रहा मदद, देखें रिपोर्ट:-
हल्द्वानी/देहरादून। ये मानवाधिकार संगठन गरीब विचाराधीन कैदियों की ऐसे कर रहा मदद, देखें रिपोर्ट:-
आमतौर पर जेल में बंद गरीब विचाराधीन कैदियों को न्याय दिलाने के लिए बहुत कम संगठन काम करते हैं साथ ही उनके पुनर्वास को लेकर भी कोई ठोस पहल नहीं हो पाती है। मगर “इंडिपेंडेंट थॉट” एक राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन है जो गरीब विचाराधीन कैदियों के लिए “न्याय तक पहुंच” परियोजना चला रहा है साथ ही उनके पुनर्वास की भी व्यवस्था कर रहा है।
इंडिपेंडेंट थॉट अक्टूबर 2022 से टीम कंप्यूटर्स प्राइवेट लिमिटेड के सीएसआर सहयोग से देहरादून और हल्द्वानी की जेलों में हस्तक्षेप करते हुए गरीब विचाराधीन कैदियों के लिए न्याय तक पहुंच परियोजना पर काम कर रहा है, संगठन द्वारा जेल प्रशासन और जेल अधीक्षकों द्वारा गरीब विचाराधीन कैदियों के साथ मुलाकात कर उन्हें सुविधा और सहयोग प्रदान करने का काम कर रहा है जिसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं।
इस प्रोजेक्ट के तहत टीम ने एक ऐसे ही कैदी की पुनर्वास की योजना को सफलतापूर्वक अंजाम देते हुते एक विचाराधीन कैदी जयराज सिंह जो एक कुशल इलेक्ट्रीशियन है मगर अपराधिक कलंक के कारण समाज इलेक्ट्रीशियन के रूप में उसकी सेवाओं को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं था। जिसके बाद इंडिपेंडेंट थॉट संगठन के अधिवक्ता विवेक कुमार गुप्ता और सामाजिक कार्यकर्ता राम किशोर महावर ने जय राज सिंह की शीघ्र रिहाई में मदद की और पुनर्वास की भी व्यवस्था की।
टीम द्वारा बीती 10 अप्रैल 2024 को जयराज सिंह को स्थानीय सदस्यों की उपस्थिति में इलेक्ट्रिकल की दुकान खोलने में मदद की और यह पूरी प्रक्रिया समाज में प्रतिशोधात्मक दृष्टिकोण के बजाय कैदियों के प्रति सुधारात्मक दृष्टिकोण को अपनाने और ऐसे कैदियों के खिलाफ लगाए जा रहे कलंक को दूर करने का प्रयास करके कैदियों को समाज के भीतर फिर से प्रवेश करने में मदद करने का एक प्रयास किया गया।
इंडिपेंडेंट थॉट द्वारा दमुवाढूंगा हल्द्वानी स्थित जयराज सिंह के लिए इलेक्ट्रिक शॉप खुलवाई जिसका उद्घाटन उपकारागार हल्द्वानी के जेल अधीक्षक प्रमोद कुमार द्वारा किया गया।
इस दौरान इंडिपेंडेंट थॉट के डॉक्टर विक्रम श्रीवास्तव, विवेक कुमार गुप्ता, राम किशोर महावर, शुभम वर्मा और अभिजात चैतन्य भी मौजूद रहे। इंडिपेंडेंट थॉट के संस्थापक और अधिवक्ता डॉ विक्रम श्रीवास्तव ने कहा कि पुनर्वास, आर्थिक और सामाजिक परियोजना के तहत तीन आयामी दृष्टिकोण का एक महत्वपूर्ण पहलू है। और यह परियोजना विचाराधीन गरीबों और वंचितों की पहचान पर केंद्रित है।