उत्तराखंड
अगर आप चलाते हैं टैक्सी, मैक्सी, बस या मालवाहक वाहन तो जान लें ये जरूरी नियम…… वरना….
अगर आप भी सार्वनजनिक और मालवाहन वाहन चलाते हैं तो यह खबर आपके लिए है। इन वाहनों के लिए नया नियम लागू किया जा रहा है। सचिव परिवहन डाक्टर रणजीत कुमार सिन्हा ने आयुक्त परिवहन को पत्र लिखकर इस व्यवस्था को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
उत्तराखंड के सभी सार्वजनिक व मालवाहक वाहनों में वैश्विक स्थान निर्धारण प्रणाली (जीपीएस) लगाना अनिवार्य हो गया है।
सार्वजनिक वाहनों में टैक्सी, मैक्सी से लेकर बस तक सभी प्रकार के यात्री वाहन शामिल हैं। सभी सार्वजनिक व मालवाहक वाहनों के लिए 20 अप्रैल तक जीपीएस लगाना अनिवार्य किया गया है। इससे सरकार चारधाम यात्रा के दौरान संचालित होने वाले सार्वजनिक वाहनों पर भी नजर रख सकेगी।
लंबे समय से की जा रही जीपीएस लगाने की कवायद
प्रदेश में सभी सार्वजनिक व मालवाहक वाहनों में जीपीएस लगाने की कवायद लंबे समय से की जा रही है। केंद्र सरकार वर्ष 2019 में इसके लिए राज्यों को निर्देशित कर चुकी है। पहले कोरोना संक्रमण और फिर विधानसभा चुनाव के कारण प्रदेश में इस व्यवस्था को अमल में नहीं लाया जा सका।
वाहनों की निगरानी भी की जा सकेगी
दरअसल, प्रदेश के पर्वतीय मार्गों पर हो रही सड़क दुर्घटनाओं को देखते हुए उच्च न्यायालय, नैनीताल ने राज्य सरकार को इस व्यवस्था को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे। यह कहा गया था कि वाहनों में जीपीएस लगे होने से इनकी सही तरीके से निगरानी हो सकेगी। वहीं, खनन व आबकारी के माल ढुलान में प्रयोग होने वाले वाहनों की निगरानी भी की जा सकेगी।
पैनिक बटन का इस्तेमाल भी सुनिश्चित हो सकेगा
इसके साथ ही महिला सुरक्षा व अपरिहार्य स्थिति के लिए वाहनों में लगाए गए पैनिक बटन का इस्तेमाल भी सुनिश्चित हो सकेगा। वाहनों में जीपीएस होगा तो पैनिक बटन दबाने से इसकी सूचना पुलिस तक पहुंच जाएगी और वाहन की लोकेशन आसानी से देखी जा सकेगी।
इसके साथ ही वाहनों के निर्धारित मार्ग से हटने, तेज वाहन चलाने, गलत तरीके से वाहन चलाने की जानकारी भी मिल सकेगी। इसके लिए परिवहन विभाग में कमांड एंड कंट्रोल रूम स्थापित हो चुका है। एनआइसी ने इसका साफ्टवेयर भी तैयार कर लिया है।
सचिव परिवहन डाक्टर रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि वाहनों में जीपीएस लगने से चारधाम यात्रा पर चलने वाले वाहनों पर नजर रखे जाने की सहूलियत मिल जाएगी। किसी आपात स्थिति में वाहनों की सही लोकेशन की जानकारी होने पर तत्काल मदद भी दी सकेगी। तेज व गलत तरीके से वाहन चलाने वालों के संबंध में भी जानकारी मिल सकेगी।