उत्तराखंड
मुस्लिम यूनिवर्सिटी मामले में कांग्रेस ने अपने इस पदाधिकारी के खिलाफ की ये बड़ी कार्यवाही…..
देहरादून: कांग्रेस में मुस्लिम यूनिवर्सिटी को लेकर उपजा विवाद विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए परेशानी खड़ी कर चुका है। इस विवाद में पार्टी के बड़े नेता तो आमने-सामने हैं ही, इस मांग को उठाने वाले प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष आकिल अहमद भी विवाद को तूल देने में कसर नहीं छोड़ रहे।
छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित
आकिल के हार के लिए बड़े नेताओं पर निशाना साधने और मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने की मांग पर कायम रहने की घोषणा को कांग्रेस नेतृत्व ने गंभीरता से लिया है। कांग्रेस ने अनुशासनात्मक कार्रवाई कर आकिल को तत्काल प्रभाव से छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है।
देहरादून जिले की सहसपुर सीट से टिकट के लिए दावेदारी कर रहे आकिल अहमद ने अपने विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना समेत 10 सूत्रीय मांगपत्र पार्टी नेताओं को सौंपा था। आकिल ने दावा किया था कि उसकी मांग का समर्थन पार्टी ने किया। इसी कारण टिकट की दावेदारी से कदम पीछे खींचे गए। बाद में मुस्लिम यूनिवर्सिटी का मामला तूल पकड़ गया।
मुस्लिम यूनिवर्सिटी को हार के कारण के तौर पर गिनाया
भाजपा ने विधानसभा चुनाव में मुद्दा बनाकर इस पर कांग्रेस की घेराबंदी की। 10 मार्च को चुनाव परिणाम सामने आने के बाद कांग्रेस के कई प्रत्याशियों ने अपनी और पार्टी की हार को अप्रत्याशित मानते हुए मुस्लिम यूनिवर्सिटी को हार के कारण के तौर पर गिनाया। हालांकि, मुस्लिम यूनिवर्सिटी की मांग को न तो कांग्रेस के घोषणापत्र में जगह मिली और न ही किसी नेता ने चुनाव में इस बारे में चर्चा की।
बीती 21 व 22 मार्च को हार के कारणों को लेकर हुई समीक्षा बैठक में भी यह मुद्दा उठा। बाद में कांग्रेस के केंद्रीय पर्यवेक्षक अविनाश पांडेय ने भी माना था कि भाजपा के इस मुद्दे को तूल देने से कांग्रेस को चुनाव में नुकसान हुआ। इस मामले में कांग्रेस के बड़े नेता भी एक-दूसरे को निशाने पर लेने से चूक नहीं रहे हैं।
बीते रोज आकिल अहमद ने रुड़की में पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि कांग्रेस इस मुद्दे के कारण नहीं, बल्कि अपनी गलतियों से चुनाव हारी। उन्होंने यह भी कहा कि वह आने वाले लोकसभा चुनाव में इस मुद्दे के साथ हरिद्वार से टिकट मांगेंगे। आकिल की यह बयानबाजी कांग्रेस नेतृत्व को नागवार गुजरी। प्रदेश महामंत्री संगठन मथुरा दत्त जोशी ने बताया कि आकिल को पत्र लिखकर कहा गया कि उनकी बयानबाजी से पार्टी संगठन की छवि धूमिल हुई है।
इससे पहले उन्हें अनर्गल बयानबाजी न करने की हिदायत देते हुए आठ फरवरी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। उनकी बयानबाजी को केंद्रीय नेतृत्व ने गंभीरता से लिया। उन्हें पार्टी के सभी पदों से मुक्त करते हुए तत्काल प्रभाव से पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से छह वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया गया है।
स्रोत इंटरनेट मीडिया