उत्तराखंड
(कालाढूंगी विधानसभा समर 2022) गणपति बप्पा मोरिया, पाठक-पाठक होरिया
कालाढूंगी की जनता के दिलों में अपनी अमिट छाप छोड़ चुके पाठक आखिर है कौन यह जानने के लिए लोग उत्सुक तो जरूर होंगे, मगर पाठक लोगों की मदद कैसे करते यह जानना भी बेहद जरूरी है। यह एक ऐसा नाम है जिसके नाम से ही काम बनना शुरू हो जाते हैं।
बात हो रही है एक सरल, सामान्य एवं सहज प्रवृत्ति के व्यक्ति मनोज पाठक की जो जनता के दिलों में अपनी इस कदर पैठ बना चुके हैं कि आम से लेकर खास कोई भी उनसे अपनी समस्या का समाधान करवा सकता है। क्योंकि मनोज पाठक द्वारा अब तक ऐसे कार्य कराए जा चुके हैं जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी।
यह हम नहीं कह रहे बल्कि मनोज पाठक के सार्थक प्रयासों की बदौलत कालाढूंगी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत जो महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल हुई है वह स्वयं अपने वक्तव्य को बयां कर रही हैं। एक महिला या महिला के समूह को आत्मनिर्भर व सशक्त कैसे बनाया जाए इसके लिए मनोज पाठक ने ऐसी मिसाल कायम की है जो शायद अब तक किसी ने ना की हो। उन्होंने महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने के लिए उनको किसी के आगे हाथ फैलाने से बेहतर समझा कि उन्हें कुछ ऐसी चीजें उपलब्ध कराई जाए जिनसे वह स्वयं ही आत्मनिर्भर एवं सशक्त बन सकें।
मनोज पाठक ने महिलाओं के सम्मान को ध्यान में रखते हुए उन्हें गृह उद्योग के लिए प्रोत्साहित किया साथ ही उनकी मदद करते हुए उन्हें सिलाई मशीन, मोमबत्ती निर्माण मशीन, ऐपड़ कला प्रोत्साहन, महिला समूहों को आर्थिक मदद उपलब्ध कराना आदि शामिल है। इतना ही नहीं महिला समूह द्वारा तैयार उत्पाद को वह स्वयं खरीद एवं अपनी टीम के लोगों से खरीदने के लिए प्रोत्साहित भी करते हैं ताकि महिला समूह का मनोबल बढ़ा रहे एवं लोकल फॉर वोकल और मेक इन इंडिया का प्रधानमंत्री का सपना भी साकार हो सके।
मनोज पाठक संपन्न परिवार से हैं एवं उन्हें मौजूदा समय में किसी की आवश्यकता भी नहीं है मगर वह स्वयं को जमीनी स्तर से जुड़ा हुआ मानते हैं क्योंकि उन्होंने ऐसे समय भी देखे हैं जब उन्होंने अपना बचपन झोपड़ी में व्यतीत किया साथ ही उन्होंने अपने बड़े भाई के द्वारा घरेलू उद्योग के तहत धूप एवं अगरबत्ती बनाने के काम में उनका हाथ बंटाया। मनोज पाठक के पिता वन विभाग में कार्यरत थे और उन्होंने रामनगर, हल्द्वानी, जसपुर सहित कई क्षेत्रों में कार्य किया ऐसे में मनोज पाठक के जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए मगर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। 12वीं उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने स्वयं मेहनत करना प्रारंभ किया उनकी बचपन से ही जनहितों के काम में रुचि थी और धीरे-धीरे वह इसी कड़ी में आगे बढ़ते चले गए और भाजपा के अनुषांगिक संगठनों में अपनी सेवाएं देने के बाद पूर्ण रूप से भाजपा में आ गए।
उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया मगर उन्हें इस बात का जरा भी घमंड नहीं रहा। वह मानते हैं कि जन सेवा ही सर्वोपरि है चाहे वह किसी भी रूप में हो। मौजूदा समय वह कालाढूंगी विधानसभा क्षेत्र के लोगों के लिए पूरी तरह से समर्पित हैं इतना ही नहीं पीड़ितों को मौके पर जाकर आर्थिक मदद करना और शारीरिक रूप से पीड़ित लोगों को स्वयं हाथ में उठाकर अस्पताल तक पहुंचाना उनकी विशेष कार्यशैली को दर्शाता है।
मनोज पाठक महिलाओं के स्वाबलंबन, आर्थिक एवं शारीरिक रूप से पीड़ित लोगों को मदद देने के अलावा गरीब एवं पिछड़े लोगों को बेहतर शिक्षा प्रदान करने के लिए लाइब्रेरी तक का निर्माण करवा चुके हैं जिसके बारे में आज तक किसी ने नहीं सोचा। उनके द्वारा निर्माण करवाई लाइब्रेरी में सैकड़ों निर्धन छात्र-छात्राएं शांति पूर्वक अध्ययन करते हैं। और कई छात्र-छात्राओं ने अब तक राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर कालाढूंगी का नाम भी रोशन किया है।
शायद यही वजह है कि गणपति बप्पा मोरिया, पाठक-पाठक होरिया।