उत्तराखंड
(लालकुआं) गौला खनन मुद्दे पर गौला संघर्ष समिति लालकुआं के अध्यक्ष जीवन कबडवाल से खास बातचीत, जानें आखिर क्यों परेशान है खनन व्यवसाय से जुड़े कारोबारी
लालकुआं
रिपोर्टर:- शैलेन्द्र कुमार सिंह
राजस्व के मामले में कुमाऊं की सोने की खान कहीं जाने वाली गौला नदी में खनन शुरू होने से पहले ही राजनीति गरमा गई है। यहां लालकुआं, हल्दूचौड़ व देवरामपुर सहित तमाम खनन निकासी गेटों में वाहन स्वामियों ने अपने वाहन नहीं भेजें हैं। वाहन स्वामियों का कहना है कि जब तक सरकार रॉयल्टी के दामों में कमी नहीं करती और उन्हें भाड़ा बढ़कर नहीं मिलता तब तक वह खनन कार्य में अपने वाहनों को नहीं भेजेंगे। विदित रहे कि गौला नदी से होने वाले खनन व्यवसाय से लाखों लोग प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं और रोजगार पाते हैं साथ ही सरकार को भी भारी राजस्व मिलता है मगर इस बार वाहन स्वामियों द्वारा अपने वाहन नदी में नहीं भेजे जाने से सरकार के राजस्व को भी नुकसान पहुंच रहा है।
इधर गौला संघर्ष समिति लालकुआं गेट के अध्यक्ष जीवन कबडवाल ने जानकारी देते हुए बताया की गौला नदी व नंधौर नदी की रॉयल्टी 32 रुपये है जबकि अन्य क्षेत्रों की नदियों की रॉयल्टी इससे काफी कम है वही पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों की वजह से भी वाहन स्वामियों को फायदा नहीं मिल पा रहा है इसके अलावा सरकार ने समतलीकरण के नाम पर क्रशर स्वामियों को गड्ढा खोदने की अनुमति दे दी है जिसकी रॉयल्टी की कीमत लगभग 8 रुपये के आसपास है ऐसे में जब क्रेशर स्वामियों को सस्ता उपखनिज गड्ढों से प्राप्त हो रहा है तो वह नदियों से उपखनिज क्यों लेंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि नदियों में खनन गेट में वाहन नहीं जाने को लेकर वन विभाग एवं पर निगम की तरफ से कोई दबाव नहीं है विभाग द्वारा गेट खोलने की प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है मगर वाहन स्वामियों को जब उनकी लागत का पैसा भी वसूल नहीं हो पाएगा तो वह अपने वाहन नदी में क्यों भेजेंगे। ऐसे में उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस मामले पर तत्काल हस्तक्षेप कर वाहन स्वामियों एवं खनन व्यवसाय से जुड़े मजदूरों के हितों का ध्यान रखकर काम करे। उन्होंने यह भी बताया कि जिला प्रशासन के अधिकारियों से वार्ता हुई है जिससे कोई हल निकले इसके भी प्रयास किए जा रहे हैं।