उत्तराखंड
Lalkuan News: कांग्रेस प्रत्याशी को कहीं भारी न पड़ जाए कार्यकर्ताओं की अनदेखी, यही हाल भाजपा का, देखें रिपोर्ट:-
Lalkuan News: कांग्रेस प्रत्याशी को कहीं भारी न पड़ जाए कार्यकर्ताओं की अनदेखी, यही हाल भाजपा का
रिपोर्ट:- शैलेन्द्र कुमार सिंह
लालकुआं नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर लगातार घमासान जारी है। ऐसा नहीं की भाजपा और कांग्रेस पार्टी द्वारा टिकट दिए जाने के बाद कार्यकर्ता चुनाव लड़ाने के लिए जुट गए हों यहां ठीक इसका उलट देखने को मिल रहा है।
पहले बात करें तो कांग्रेस पार्टी की प्रत्याशी डॉक्टर अस्मित मिश्रा की जिनका टिकट फाइनल होते ही कांग्रेस पार्टी में घमासान मच गया कई दिग्गज पदाधिकारी पार्टी को अलविदा कह चुके हैं तो कई आज भी पूरी तरह नाराजगी जाता रहे हैं।
कांग्रेस के स्थानीय कार्यकर्ताओं का कहना है कि नगर पंचायत लालकुआं के चुनाव में यदि टिकट देना ही था तो स्थानीय पदाधिकारी या कार्यकर्ता को दे सकते थे मगर ऐसा नहीं किया गया सिर्फ एक व्यक्ति को केंद्र बिंदु बनाकर कभी उन्हें, तो कभी उनकी पत्नी तो अब उनकी बहू को टिकट दिया गया जिससे स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ता किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं कर सकते।
इसलिए कई दिग्गज पदाधिकारियों ने इस्तीफा तक दे डाला है ऐसे में डैमेज कंट्रोल करना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है।
हालांकि आज नामांकन के अंतिम दिन कांग्रेस प्रत्याशी अस्मिता मिश्रा के साथ उनके ससुर और पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष रामू मिश्रा के अलावा वरिष्ठ कांग्रेसी नेता व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल और पूर्व कैबिनेट मंत्री हरिश्चंद्र दुर्गापाल भी मौजूद रहे।बजब उनसे पूछा गया की पार्टी में बगावत के शुरू उठ चुके हैं और कई पदाधिकारियों ने इस्तीफा तक दे डाला है तब उन्होंने कहा कि सभी को मनाने के प्रयास किए जाएंगे।
वहीं दूसरी तरफ भाजपा प्रत्याशी प्रेमनाथ पंडित को टिकट दिए जाने के बाद सक्रिय एवं मंडल महामंत्री सुरेंद्र सिंह लोटनी ने भी बगावत करते हुए निर्दलीय नामांकन दाखिल कराया और स्पष्ट कहा कि वह पूर्व सैनिक है और सैनिक सिर्फ लड़ना जानता है पीछे हटने का सवाल ही नहीं उठाता। ऐसे में भाजपा में भी दो फाड़ होते हुए नजर आ रहे हैं।
हालांकि सुरेंद्र सिंह लोटनी ने जो शक्ति प्रदर्शन किया उससे तो यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी प्रेमनाथ पंडित के लिए अध्यक्ष पद की कुर्सी आसान नहीं होगी।
वहीं निर्दलीय प्रत्याशी माजिद अली को भी कांग्रेस से बागी हो चुके नेताओं का सपोर्ट मिल रहा है ऐसे में कांग्रेस के प्रत्याशी के लिए भी राह आसान नहीं है साथ ही डैमेज कंट्रोल करना भी कांग्रेस पार्टी के लिए अहम माना जा रहा है।