उत्तराखंड
पुलिस की तरह अब हथियारों से लैस होंगे वन विभाग के कर्मी, जानें वजह:-
हल्द्वानी। तराई पूर्वी वन प्रभाग के जंगलों की सुरक्षा वन विभाग के लिए लगातार चुनौती बन रही है. पिछले कुछ दिनों से वन तस्करों और वन कर्मियों के बीच आपसी संघर्ष के कई मामले भी सामने आए हैं. तस्करी के दौरान वन तस्कर हथियारों से लैस होने के चलते कई बार वनकर्मियों को पीछे हटाना पड़ता है.
कई बार वन तस्कर वनकर्मियों पर फायर भी कर देते हैं, जिसके चलते वन कर्मियों को भी नुकसान पहुंचता है. इसी को देखते हुए तराई पूर्वी वन प्रभाग वन कर्मियों की आत्मरक्षा के लिए अत्याधुनिक हथियार खरीदने जा रहा है. जिसके तहत 27 लाख की बजट से 30 अत्याधुनिक हथियार खरीदेगा.
दरअसल, वन विभाग ने हाल ही में अपने कर्मचारियों को तस्करों से निपटने के लिए आधुनिक हथियारों से लैस करने की योजना बनाई है. वहीं तराई पूर्वी वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी हिमांशु बागरी ने बताया कि वन विभाग हमेशा से ही वन और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है. अपने कर्मचारियों को तस्करों से निपटने के लिए आधुनिक हथियारों से लैस करने जा रहा है, जिससे कि तस्करों के साथ-साथ वन्यजीवों से भी सुरक्षा कर सके.
वन विभाग अब तस्करों से निपटने के लिए कुछ नए हथियारों की खरीद कर रहा है, जिसमें रिवॉल्वर, एक्शन गन, 315 बोर की नई राइफल और बुलेट प्रूफ जैकेट शामिल हैं. वन विभाग के पास वर्तमान समय में 76 गन हैं, जिसमें ज्यादातर पुराने हो चुके हैं. बजट मिलते ही अत्याधुनिक हथियारों की खरीद की जाएगी, जिसके बाद वन कर्मियों को प्रशिक्षण के साथ हथियारों से लैस किया जाएगा.” – हिमांशु बागड़ी, डीएफओ, तराई पूर्वी वन प्रभाग
डीएफओ हिमांशु बागड़ी ने बताया कि योजना के तहत वनरक्षक से ऊपर सभी फील्ड कर्मचारियों को हथियारों से लैस किया जाएगा. इतना ही नहीं प्रशिक्षण के दौरान वन कर्मियों को बताया जाएगा कि आत्मरक्षा के लिए किस तरह से हथियारों का प्रयोग करें.
गौर हो कि जंगल के गश्त के दौरान ज्यादातर वनकर्मी लाठी डंडे के सहारे कष्ट करते हैं, जहां जंगलों में तस्करों के साथ मुठभेड़ के दौरान वन कर्मियों को पीछे हटाना पड़ता है. जिसका फायदा उठाकर वन तस्कर जंगली जानवरों, बेशकीमती लकड़ियों और रेत बजरी आदि की तस्करी करते हैं, जो वन कर्मियों के लिए चुनौती बना रहता है.
स्रोत im


