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उत्तराखंड

Lohaghat (Champawat) वनाग्नि सुरक्षा प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रम का हुआ आयोजन

Lohaghat (Champawat) वनाग्नि सुरक्षा प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन

लोहाघाट (चंपावत)
रिपोर्ट:- लक्ष्मण बिष्ट

दिनों दिन बढ़ती जा रही बनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए शनिवार को डीएफओ चंपावत नवीन पंत के निर्देश वह एसडीओ नेहा सोन के नेतृत्व में लोहाघाट ब्लॉक सभागार में बाराकोट व लोहाघाट क्षेत्र के वन सरपंचों की वनाग्नि सुरक्षा प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

नेहा सोन, एसडीओ फॉरेस्ट, चंपावत

जिसमें 165 वन सरपंचों सहित पर्यावरण प्रेमियों व बन कर्मियों व पर्यावरण प्रेमियों ने प्रतिभाग किया गोष्ठी में एसडीओ चंपावत नेहा सोन व वनमित्र स्यालीखेत रानीखेत से आए गजेंद्र जोशी के द्वारा सभी बन सरपंचों को जागरुक करते हुए कहा आज जलवायु परिवर्तन, पेयजल स्रोतों व नदियों का सूखना वनों का अंधाधुंध कटान व बनाग्नि है सरकार के द्वारा बनाग्नि को आपदा घोषित किया गया है।

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गजेंद्र जोशी, वन मित्र, स्यामलीखेत, चंपावत

उन्होंने कहा आज हमें अपने जंगलों को बचाना होगा जिसमें सबसे बड़ी भूमिका ग्रामीणों की है उन्होंने कहा जंगलों में आग लगने से कई दुर्लभ जंगली जीव जंतु विलुप्त की कगार पर पहुंच चुके हैं पेयजल स्रोत गायब हो गए हैं हिमालय पर धीरे-धीरे बर्फ कम होते जा रही है ग्लेशियर पिघलने लगे हैं।

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सुरेश जोशी, पर्यावरण प्रेमी, लोहाघाट

उन्होंने कहा पर्यावरण को बचाने के लिए हमें अधिक से अधिक पौधे लगाने होंगे तथा उनकी देखभाल करनी होगी घास के लिए ग्रामीणों को जंगलों में आग नहीं लगानी होगी तथा खरपतवार को देखरेख में जलाना होगा तथा गांव से पलायन रोकना पड़ेगा सरकार को भी इस विषय पर गंभीर होना पड़ेगा उन्होंने कहा जंगल है तभी जीवन है हम अपने जंगलों को बचाकर आने वाली पीढियां को एक स्वच्छ पर्यावरण दे सकते हैं।

अगर जंगल नहीं बचाए गए तो वह दिन दूर नहीं जब उसके घातक परिणाम मानव जाति को भुगतने पड़ेंगे जंगल की आग ही मानव वन्य जीव संघर्ष का प्रमुख कारण इस दौरान सभी लोगों ने जंगलों को बचाने का संकल्प लिया एसडीओ नेहा सोने कहा जंगलों को बचाने में महिलाओं को बड़ी भूमिका निभानी पड़ेगी तभी प्रकृति बच पाएगी।

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उन्होंने स्यालीखेत मॉडल को अपनाने की अपील की जहां वनमित्र गजेंद्र जोशी के नेतृत्व में महिलाओं ने अपने जंगल बचाए हैं इस दौरान आपदा विभाग के द्वारा सभी सरपंचों को आपदा उपकरणों का वितरण किया गया

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