उत्तराखंड
पंतनगर विश्वविद्यालय फार्म कि सरकारी भूमि पर दंबगों का कब्जा””यूनिवर्सिटी प्रशासन मौन “आरटीआई से हुआ खुलासा।
मुकेश कुमार
ऊधम सिंह नगर जिले में पन्तनगर कि गोविंद बल्लभ पंत यूनिवर्सिटी के कई सरकारी भवनों पर अतिक्रमणकारियों की ओर से वर्षों से कब्जा कर भवनों पर सस्ता गले की दुकान चलाने का मामला प्रकाश में आया है मामले का खुलासा सूचना के अधिकार से हुआ कि विश्वविद्यालय फार्म कार्यालय के पीछे वर्षों पूर्व युनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा हल्दी गन्ना सोसायटी के बगल में गोदामों निर्माण कराया गया था जिसके बाद सन् 1992 में यूनिवर्सिटी प्रशासन ने फूलबाग कि हल्दी मल्टी परवज सरकारी समिति लिं० को कुछ भवन किराए पर दिये थे जब से अब तक भवनों पर अतिक्रमणकारियों ने कब्जा जमाये रखा है वही आज तक अतिक्रमणाकारियों ने युनिवर्सिटी प्रशासन को किराये के नाम पर एक रूपया तक नही दिया जो अब लगभग 40 लाख रूपये से अधिक हो गया है वही इन अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध अब तक किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई है जिसे राज्य सरकार के साथ साथ युनिवर्सिटी को भी प्रतिमाह लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है।
इधर अवैध कब्जे के संबंध में पूछे जाने पर विश्वविद्यालय फार्म के मुख्य महाप्रबंधक डीके सिंह ने बताया कि उन्हें एक आरटीआई मिली है जिसपर बिंदु प्राप्त मिले है कि विश्वविद्यालय फार्म में युनिवर्सिटी के बने सरकारी भवन है तथा उसपर बरसों से स्थानीय एक व्यक्ति द्वारा कब्जा है साथ ही उसके द्वारा एक भवन में सस्ते गले कि दुकान भी चलाई जा रही है उन्होंने कहा कि भवन किसने आवंटित किया है उसकी जांच चल रही है उन्होंने कहा कि मेरे द्वारा आरटीआई को लेकर पत्रावली कि गई तथा जल्द ही इस मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी।
इधर आरटीआई कार्यकर्ता राजेश सिंह ने बताया कि पन्तनगर विश्वविद्यालय फार्म के सरकारी भवनों पर स्थानीय व्यक्ति की ओर से वर्षों से अवैध कब्जा किया गया है वो उक्त भवनों पर बरसों से सस्ते गले कि दुकान चला रहा है तथा उसके द्वारा अन्य सरकारी भवनों पर भी अवैध कब्जा किया गया है उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय फॉर्म और राजनीतिक सपोर्ट कि मिलीभगत से इतना बड़ा अवैध कब्जा किया गया इसके साथ ही सभी भवनों का बिजली, पानी, का बिल भी युनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा दिया जा रहा है जिसका लाभ उक्त एक व्यक्ति उठा रहा है उन्होंने कहा कि उक्त भवनों का किराया अतिक्रमणकारी पर लाखों रुपए हो गया है लेकिन यूनिवर्सिटी प्रशासन कार्रवाई के नाम पर अपनी आंखें मूंदे बैठा है।उन्होंने जल्द ही सभी अतिक्रमीत भवनों को अतिक्रमणकारियों से मुक्त करा कर खाली कराये जाने कि मांग कि ताकि जिस उद्देश्य से भवन बनाए गए हैं उसका उपयोग हो सकें।