उत्तराखंड
बिन्दुखत्ता को राजस्व गांव बनाए जाने के संघर्ष की कहानी, पार्ट 1, देखें विशेष रिपोर्ट:-
सम्पादक (UK LIVE 24)
शैलेन्द्र कुमार सिंह
9 नवंबर 2000 को तत्कालीन उत्तरांचल जो अब उत्तराखंड के रूप में जाना जाता है अस्तित्व में आया था और बिंदुखत्ता वासियों को आस जगी थी कि अब उनके गांव का उद्धार होगा क्योंकि अखंड उत्तर प्रदेश के समय उत्तराखंड, जनप्रतिनिधियों की अनदेखी का शिकार बना रहता था। उत्तराखंड बनने के बाद अब बिंदुखत्ता वासियों को लगा था कि उनके गांव का कायाकल्प होगा और राजस्व गांव की वर्षों पुरानी मांग भी पूरी होगी पर ऐसा होना यहां की जनता की सबसे बड़ी भूल थी, क्योंकि उत्तराखंड बनने के बाद यहां के नेता सत्ता के नशे में चूर रहने लगे और बिन्दुखत्ता को राजस्व गांव बनाना तो दूर मूलभूत सुविधाओं के लिए भी यहां के लोगों को तरसना पड़ा। ऐसे में वर्ष 2002 में जब पहले विधानसभा चुनाव हुए तब तत्कालीन एनडी तिवारी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार का गठन हुआ और एनडी तिवारी ही ऐसे नेता रहे जिन्होंने बिंदुखत्ता में बिजली, सड़क, शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण कदम उठाए मगर सत्ता परिवर्तन के बाद बिंदुखत्ता एक बार फिर राजनेताओं की अनदेखी का शिकार हो गया और यह क्रम बदस्तूर जारी रहा। फिलहाल सड़कें बनना और दुग्ध व्यवसाय को बढ़ाने के लिए डेरियों का निर्माण जारी रहा फिर भी राजस्व गांव की लड़ाई क्षेत्र की जनता लगातार लड़ती रही और अब 9 नवंबर 2021 को राज्य गठन के पूरे 21 वर्ष हो जाएंगे मगर राजस्व गांव बनाए जाने की दिशा में आज तक कांग्रेस या फिर बीजेपी किसी ने ठोस कार्यवाही नहीं की, मौजूदा समय में डबल इंजन की सरकार से लोगों को उम्मीद थी कि अब राजस्व गांव जरूर बन जाएगा मगर इस बार भी जनता को निराशा ही हाथ लगी इसी वजह से बिंदुखत्ता की जनता केंद्र व राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली कल्याणकारी योजनाओं से वंचित है और राजनेता अपनी सत्ता की रोटियां सेकने में मशगूल रहे। एक बार फिर प्रदेश में वर्ष 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में लालकुआं विधानसभा के लिए निर्णायक क्षेत्र माने जाने वाले बिंदुखत्ता के वाशिंदे इस बार क्या रुख अख्तियार करते हैं यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
UK LIVE 24 बनेगा बिंदुखत्ता के संघर्ष की आवाज
जल्द मिलेंगे पार्ट 2 में
राजस्व गांव के संघर्ष की कहानी
बिंदुखत्ता वासियों की जुबानी