उत्तराखंड
लालकुआं। सेंचुरी के ठेका श्रमिकों का अनशन 100 दिन बाद भी जारी, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता इंद्रपाल आर्य ने सरकार और मिल प्रबंधन पर साधा निशाना, पढ़ें खास रिपोर्ट:-
लालकुआं (नैनीताल)
रिपोर्ट:- शैलेन्द्र कुमार सिंह
सेंचुरी पल्प एंड पेपर मिल के ठेका श्रमिकों के अनशन जारी रहने पर वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एवं कांग्रेस एससी विभाग के नैनीताल जिला अध्यक्ष इंद्रपाल आर्य ने सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा की देवभूमि के बच्चे स्थाई नौकरी पाने को अनशन करने को मजबूर हैं मगर सरकार के जनप्रतिनिधि और मिल प्रबंधन के अड़ियल रवैये की वजह से युवाओं को उनका हक नहीं मिल का रहा है। उन्होंने कहा की सेंचुरी पेपर मिल के ठेका श्रमिक लगभग 100 दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं मगर मिल प्रबंधन द्वारा स्थाई रूप से नौकरी नहीं दी जा रही है। उन्होंने बताया की जिन श्रमिकों ने 10 से 12 वर्ष मिल प्रबंधन को बतौर ठेका श्रमिक के रूप में दिए अब उन्हें स्थाई करने के नाम पर मिल प्रबंधन तरह-तरह की बयान बाजी कर रहा है जिसका खामियाजा ठेका श्रमिकों को भुगतना पद रहा है और वह शहीद स्मारक पर अनशन करने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा की यहां शहीद स्मारक पर सरकार के जनप्रतिनिधि पहुंचने तो जरूर हैं मगर अनशन पर बैठे श्रमिकों से वार्ता करने तक नहीं जाते ऐसे में डबल इंजन की सरकार स्थाई रोजगार के मुद्दे पर पूरी तरह से विफल साबित होती हुई दिखाई दे रही है और धरातल पर रोजगार को लेकर कोई ठोस करवाई अमल में नहीं लाई जा रही है। उन्होंने कहा की वह और कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से अनशन कर रहे ठेका श्रमिकों के साथ है और जब तक उन्हें न्याय नहीं मिल जाता तब तक उनका समर्थन करते रहेंगे। इधर अनशन को 100 दिन पूरे होने पर अपर जिलाधिकारी अशोक जोशी एवं अप जिलाधिकारी मनीष कुमार सिंह की मौजूदगी में मिल प्रबंधन के अधिकारियों के साथ वार्ता की गई जो पूरी तरह से विफल साबित हुई। वहीं अब अनशनकारियों ने अपना आंदोलन और तेज करने का ऐलान किया है और कहा है कि वह अपनी रोजी-रोटी की लड़ाई के लिए अब किसी भी हद तक जाने को तैयार।
आमरण अनशन से स्वास्थ्य पर पड़ रहा विपरीत प्रभाव
बताते चलें की सेंचुरी पेपर मिल से बाहर किए गए ठेका श्रमिकों द्वारा आमरण अनशन भी किया जा रहा है लगातार आमरण अनशन के चलते भूख और प्यास की वजह से अब ठेका श्रमिकों की सेहत पर भी विपरीत प्रभाव पड़ने लगा है हालांकि समय-समय पर जिला प्रशासन द्वारा पुलिस की मौजूदगी में श्रमिकों को अस्पताल में भर्ती तो कराया जा रहा है मगर उनकी दयनीय स्थिति को कोई नहीं समझ पा रहा है लगातार ऐसा चलता रहा तो कोई जनहानि हो जाए ऐसी संभावनाओं से भी इनकार नहीं किया जा सकता।