उत्तराखंड
UTTARAKHAND BREAKING: प्रदेश में 12 नामजद सहित 600 किसानों पर मुकदमा दर्ज, ये है पूरा मामला:-
हरिद्वार जिले के रुड़की में बीते दिन मंगलवार एक अक्टूबर को भारतीय किसान यूनियन टिकैत की ओर से महापंचायत की गई थी. इस दौरान हाईवे जाम करने के मामले में पुलिस ने भारतीय किसान यूनियन टिकैत के 12 नामजद करते हुए 600 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया.
दरअसल, किसान नेताओं पर सड़क जाम कर यातायात बाधित करने समेत शांति भंग करने का आरोप है. पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर मामले की छानबीन शुरू कर दी है. बता दें कि एक अक्टूबर मंगलवार को रूड़की तहसील में भाकियू टिकैट के किसानों की महापंचायत होनी थी.
सभी किसान मंगलवार को मंगलौर गुड़ मंडी में इकट्ठा हुए थे, जहां से वो बड़ी संख्या में ट्रैक्टरों पर सवार होकर रूड़की तहसील के लिए रवाना हुए थे. लेकिन पुलिस ने किसानों को रूड़की एसडीएम चौक पर बैरिकेडिंग लगा कर रोक लिया.
इस दौरान किसानों और पुलिस के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई थी. आरोप है कि किसानों ने पुलिस की बैरिकेडिंग तोड़ते हुए अपना काफिला आगे बढ़ा दिया. इसके बाद सभी किसानों ने ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के आवास के बाहर अपनी महापंचायत शुरू की. इस वजह से हरिद्वार-दिल्ली हाईवे करीब दो घंटे तक बाधित रहा.
12 नामजद समेत 600 लोगों पर मुकदमा दर्ज: वहीं पुलिस ने इस मामले में भारतीय किसान यूनियन के गढ़वाल मंडल अध्यक्ष संजय चौधरी, जिलाध्यक्ष विजय शास्त्री, सुक्रमपाल, सुरेन्द्र, सुखपाल सिंह, रामपाल सिंह, उदय पदम सिंह भाटी समेत 12 नामजद और करीब 600 भाकियू कार्यकर्ताओं के खिलाफ सिविल लाइन कोतवाली प्रभारी निरीक्षक नरेंद्र सिंह बिष्ट ने मुकदमा दर्ज कराया है.
वहीं दर्ज किए गए मुकदमे में किसान नेताओं पर सड़क जाम कर यातायात बाधित करने का आरोप लगाया गया है. इसी के साथ शांतिभंग करने आदि का भी आरोप है. सिविल लाइन कोतवाली प्रभारी निरीक्षक नरेंद्र सिंह बिष्ट ने बताया कि 12 नामजद और करीब 600 भाकियू किसानों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है.
किसान नेता का बयान: पुलिस की इस कार्रवाई से किसान नेता आंक्रोशित है. भाकियू के जिलाध्यक्ष विजय शास्त्री का कहा कि सभी किसानों को तहसील के अंदर महापंचायत करनी थी, उनका रोड जाम करने का कोई इरादा नहीं था. पुलिस ने ही बैरिकेड लगाकर उन्हें रोका था. इसी बात से नाराज होकर सभी किसान सड़क पर बैठ गए थे.
उन्होंने कहा कि सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए किसानों को आंदोलन का सहारा लेना पड़ेगा. किसान अब गोली, लाठी और मुकदमों से डरने वाला नहीं है. अब वह मवेशियों के साथ गिरफ्तारी देंगे, लेकिन मांगें पूरी होने तक वह धरने पर अडिग रहेंगे.
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