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अब विधायकों व सांसदों ने ली रिश्वत, तो होगी यह कड़ी कार्यवाही, देखे सुप्रीम फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने उस पुराने फैसले को खारिज कर दिया है जिसमें सांसदों- विधायकों को भाषण देने और सदन में वोट डालने के लिए रिश्वत लेने पर अभियोजन से छूट दी गई थी. 4 मार्च को CJI DY की अध्यक्षता वाली सात जजों की बेंच ने मामले पर सर्वसम्मति से फैसला लिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा पुराने फैसले के तहत जन प्रतिनिधियों को इस तरह से छूट देना एक गंभीर खतरा है।
हमने विवाद के सभी पहलुओं पर स्वतंत्र रूप से फैसला लिया है।सांसदों को छूट मिलती है, हम इस पहलू पर असहमत हैं और बहुमत को खारिज करते हैं. नरसिम्हा राव वाले मामले में बहुमत से लिया गया फैसला रिश्वत आदि लेने के लिए अभियोजन से छूट देता है और ये सार्वजनिक जीवन पर बड़ा असर डालता है. रिश्वत लेना ही अपराध है चाहे वो किसी भी मामले में हो. अनुच्छेद 105 के तहत रिश्वतखोरी को छूट नहीं दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने 1998 के पीवी नरसिम्हा राव मामले के फैसले को खारिज कर दिया है और कहा है कि सांसदों और विधायकों को रिश्वत के बदले विधायिका में वोट देने पर कानूनी कार्रवाई से छूट नहीं है. बेंच ने कहा है कि ये सर्वसम्मति का फैसला है और सुप्रीम कोर्ट छूट से असहमत है।1998 के फैसले में कहा गया था कि अगर सांसद और विधायक रिश्वत लेकर सदन में वोट देते हैं तो उन्हें मुकदमे से छूट होगी. आज फैसला सुनाने वाले जजों में CJI डी वाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस पीएस नरसिम्हा, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हैं।
स्त्रोत IM