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संदेशखाली प्रकरण पर ममता सरकार को हाई फटकार, कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित, देखें विशेष रिपोर्ट:-

कलकत्ता हाईकोर्ट ने गुरुवार को ममता सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि संदेशखाली की घटना बेहद शर्मनाक है। कोर्ट ने कहा कि यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि हर नागरिक को सुरक्षा प्रदान की जाए। साथ ही कोर्ट ने नसीहत देते हुए कहा कि संदेशखाली मामले में जिला प्रशासन और बंगाल सरकार को नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए।

बता दें कि संदेशखाली में अनेक टीएमसी नेताओं पर स्थानीय लोगों की जमीन हड़पने व महिलाओं के यौन शोषण के आरोप लगे हैं। कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने इस दिन संदेशखाली की घटना पर दायर कुल पांच जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की।

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एक याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट से पूरी घटना की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराने की मांग की। एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया जाना चाहिए और राज्य के बाहर के एक अधिकारी को प्रभारी रखा जाना चाहिए। मणिपुर की तरह एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में जांच समिति बनाई जानी चाहिए। पीड़ितों को मुआवजा मिलना चाहिए। एक अन्य जनहित याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि इस मामले में गवाहों को सुरक्षा प्रदान की जाए।

उन्होंने दावा किया कि सुरक्षा कारणों से कोई भी महिला अदालत में गवाही देने के लिए आगे नहीं आई। एक अन्य याचिकाकर्ता की वकील प्रियंका टिबरेवाल ने कहा कि उनके पास अनेक महिलाओं ने यौन उत्पीड़न की शिकायत की है। ये लोग कह रहे हैं कि अगर महिलाओं ने बयान दिया तो उनके पति-बच्चों का सिर काटकर फुटबाल खेलेंगे।

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राज्य की ओर से वकालत करते हुए महाधिवक्ता (एजी) ने कहा कि हमें देखना होगा कि संदेशखाली में क्या हुआ। लेकिन मुझे कहना होगा कि सीबीआई ने अपनी विश्वसनीयता खो दी है। सुप्रीम कोर्ट ने भी सीबीआई को पिंजरे में बंद तोता कहा था। सभी पक्षों की बातें सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश ने शाहजहां के वकील से सख्त लहजे में कहा कि आप एक आरोपित की ओर से सवाल पूछ रहे हैं।

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सबसे पहले अपने आस-पास की परछाइयों से छुटकारा पाएं। इसके बाद दूसरे लोगों की शिकायतों के बारे में बात करें। अगर हलफनामे में एक भी आरोप सच है तो वह भी शर्मनाक है। सरकार कहती है कि यहां महिलाएं सुरक्षित हैं। यदि हलफनामे में कोई आरोप साबित हो जाता है, तो ऐसे सभी दावे झूठे होंगे। हालांकि, सुनवाई पूरी होने के बाद भी हाईकोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुरक्षित रख लिया।

स्रोत im

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Author (संपादक)

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