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N.C.E.R.T. की पुस्तकों के पाठ्यक्रम में बाद बदलाव, हिंदुत्व, गोधरा कांड सहित इन मामलों पर……..
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने अपनी पाठ्यपुस्तकों में बदलाव करते हुए अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने, गुजरात दंगों में मुसलमानों के मारे जाने, हिंदुत्व और मणिपुर के भारत में विलय के संदर्भ संशोधन किया है।
एनसीईआरटी ने हालांकि संशोधित गए विषयों पर कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन अधिकारियों ने कहा कि बदलाव नियमित रूप से पाठ्यक्रम को अद्यतन करने का हिस्सा हैं और इसका संबंध नए पाठ्यक्रम ढांचे (एनसीएफ) के अनुसार नयी पुस्तकों के विकास से नहीं है।
यह संशोधन कक्षा 11 और 12 तथा अन्य की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों में किया गया है। एनसीईआरटी की पाठ्यक्रम मसौदा समिति द्वारा तैयार किए गए बदलावों का विवरण देने वाले एक दस्तावेज के अनुसार, राम जन्मभूमि आंदोलन के संदर्भों को “राजनीति में नवीनतम घटनाक्रम के अनुसार” संशोधित कर दिया गया है।
कक्षा 11 की पाठ्यपुस्तक में धर्मनिरपेक्षता से जुड़े अध्याय-8 में पूर्व में कहा गया था, “2002 में गुजरात में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों में 1,000 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर मुस्लिम थे।” संशोधन के बाद इस वाक्य को अब “2002 में गुजरात में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोग मारे गए” कर दिया गया है।
बदलाव के पीछे एनसीईआरटी का तर्क है, ”किसी भी दंगे में सभी समुदायों के लोगों का नुकसान होता है। यह सिर्फ एक समुदाय नहीं हो सकता।” पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के मुद्दे पर पहले की पाठ्यपुस्तक में कहा गया था, “भारत का दावा है कि यह क्षेत्र अवैध कब्जे में है। पाकिस्तान इस क्षेत्र को आज़ाद पाकिस्तान के रूप में वर्णित करता है।”
बदले हुए संस्करण में कहा गया है, “हालांकि, यह भारतीय क्षेत्र है जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है तथा इसे पाकिस्तान अधिकृत जम्मू और कश्मीर (पीओजेके) कहा जाता है।” संशोधन के पीछे एनसीईआरटी का तर्क यह है कि “जो बदलाव लाया गया है वह जम्मू-कश्मीर के संबंध में भारत सरकार की नवीनतम स्थिति से पूरी तरह मेल खाता है।”
मणिपुर पर, पहले की पाठ्यपुस्तक में कहा गया था, “भारत सरकार मणिपुर की लोकप्रिय निर्वाचित विधानसभा से परामर्श किए बिना, सितंबर 1949 में विलय समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए महाराजा पर दबाव डालने में सफल रही। इससे मणिपुर में बहुत गुस्सा और आक्रोश पैदा हुआ, जिसके परिणाम का अहसास अभी भी किया जा रहा है।”
संशोधित संस्करण में कहा गया है, “भारत सरकार सितंबर 1949 में महाराजा को विलय समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए मनाने में सफल रही।” अध्याय 8-भारतीय राजनीति में हालिया घटनाक्रम में, “अयोध्या विध्वंस” का संदर्भ हटा दिया गया है। पूर्व के इस वाक्य को बदल दिया गया है कि “राजनीतिक लामबंदी की प्रकृति के लिए राम जन्मभूमि आंदोलन और अयोध्या विध्वंस की विरासत क्या है?”
इसे बदलकर अब “राम जन्मभूमि आंदोलन की विरासत क्या है?” कर दिया गया है। इसी अध्याय में बाबरी मस्जिद और हिंदुत्व की राजनीति के संदर्भ हटा दिए गए हैं। पूर्व में पैराग्राफ में लिखा था, “कई घटनाओं की परिणति दिसंबर 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचे (जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता है) को गिराए जाने के रूप में हुई।
इस घटना ने देश की राजनीति में विभिन्न बदलावों की शुरुआत की और भारतीय राष्ट्रवाद एवं धर्मनिरपेक्षता की प्रकृति पर बहस तेज हो गई। ये घटनाक्रम भाजपा और ‘हिंदुत्व’ की राजनीति के उदय से जुड़े हैं।” अब इसमें संशोधन करते हुए कहा गया है, “अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर पर सदियों पुराने कानूनी और राजनीतिक विवाद ने भारत की राजनीति को प्रभावित करना शुरू कर दिया जिसने विभिन्न राजनीतिक परिवर्तनों को जन्म दिया। राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन एक प्रमुख मुद्दा बन गया, जिसने धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र पर चर्चा की दिशा बदल दी।
इन बदलावों की परिणति उच्चतम न्यायालय की संवैधानिक पीठ के फैसले (9 नवंबर, 2019 को घोषित) के बाद अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के रूप में हुई।” अध्याय-5 में “लोकतांत्रिक अधिकार” शीर्षक से, एक समाचार कोलाज के कैप्शन में गुजरात दंगों का संदर्भ हटा दिया गया है। पूर्व के संस्करण में कहा गया था, “क्या आपने इस पृष्ठ पर समाचार कोलाज में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) का संदर्भ देखा है? ये संदर्भ मानवाधिकारों के प्रति बढ़ती जागरूकता और मानवीय गरिमा के लिए संघर्ष को दर्शाते हैं।
विभिन्न क्षेत्रों में मानवाधिकार उल्लंघन के कई मामले, उदाहरण के लिए, गुजरात दंगे, पूरे भारत से सार्वजनिक संज्ञान में लाए जा रहे हैं।” इसे बदलकर अब “विभिन्न क्षेत्रों में मानवाधिकारों के उल्लंघन के कई मामले पूरे भारत से सार्वजनिक संज्ञान में लाए जा रहे हैं” कर दिया गया है।
एनसीईआरटी ने पिछले सप्ताह केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से संबद्ध स्कूलों को सूचित किया था कि कक्षा 3 और 6 के लिए नयी पाठ्यपुस्तकें विकसित की गई हैं, जबकि एनसीएफ के अनुसार अन्य कक्षाओं के लिए पाठ्यपुस्तकें अपरिवर्तित रहेंगी। हालाँकि, नया शैक्षणिक सत्र शुरू होने के बीच बदलावों की श्रृंखला अब उन किताबों में आएगी जो अभी बाजार में नहीं आई हैं।
स्रोत im