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क्राइम

OMG : जिंदा युवक को डॉक्टर ने किया मृत घोषित, पोस्टमार्टम भी कर डाला, चिता पर लेटने के बाद चलने लगी सांसे, और फिर……..

राजस्थान के झुंझुनूं जिले में गुरुवार को चौंकाने वाला वाकैया सामने आया है। एक जिंदा युवक को मृत घोषित करने के इस अजब गजब मामले में युवक को पोस्टमार्टम के बाद चिता पर लेटा दिया गया लेकिन वहां वो जिंदा निकला। इस पूरे मामले में डॉक्टरों की घोर लापरवाही सामने आई। यहीं वजह है कि सरकार ने तत्काल प्रभाव से इस केस से जुड़े 3 डॉक्टरों को सस्पेंड कर दिया है।

मृत घोषित होने के बाद 2 घंटे तक डीप फ्री में रखा

दरअसल, यमराज के पास भेजे जा चुके युवक रोहिताश्व की जान वापस लौट आई। हुआ यों कि जिस रोहिताश्व को डाक्टरों ने चिकित्सीय जांच के बाद मृत घोषित कर दिया। मृत मानकर दो घंटे तक डी फ्रीज रखे रखा। पोस्टर्माटम बाद परिजनों को मृत मानकर डेथबॉडी सौंप दी। रोहिताश की क्या सच में मौत हो चुकी थी या अस्पताल के डाक्टर्स ने उसको गलती से मृत घोषित किया था, जांच समिति इन सभी पहलुओं पर अपनी रिपोर्ट देगी. लेकिन, सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर दो घंटे तक डीप फ्रिज में रखे शरीर को सांस कैसे मिली होगी. क्या रोहिताश सच में मर चुका था और उसकी सांसें फिर से लौट आईं?  शायद जांच के बाद इन सवालों के जवाब मिल सके कि क्या सच में कोई चमत्कार हुआ था. लेकिन पूरे झुंझुनूं में ये घटना सबको हैरान किए हुए हैं.

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चिता पर लेटा दिया, मुखाग्नि देने से पहले सांसें चलती देख डरे

परिजनों ने रोहिताश्व के अंतिम संस्कार की तमाम क्रियाएं कर शव यात्रा निकाल कर मुखाग्नि देने के लिए चिता पर लिटा दिया। मृत घोषित इस व्यक्ति की सांसें चलने लगी। अंतिम संस्कार में शामिल व्यक्ति हैरान और चौकने के साथ भी डर भी गए।

मृत घोषित करने के बाद तकरीनब चार से पांच घंटे बाद सांसें चलती देख वापस उसी अस्पताल में लाकर भर्ती करा दिया जहां कुछ समय डाक्टरों ने जांच कर युवक को फिर मृत घोषित कर दिया।

कलेक्टर ने जांच कमेटी गठित की


जिला कलेक्टर रामअवतार मीणा ने जानकारी मिलते ही, पूरे मामले की जांच के कर पीएमओ से रिपोर्ट मांग ली हैं। कलेक्टर के मुताबिक, पूरे मामले से मेडिकल डिपार्टमेंट के सचिव को जानकारी दे दी गई है।

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कलेक्टर के आदेश पर तहसीलदार महेंद्र मूंड, सामाजिक अधिकारिता विभाग के डिप्टी डायरेक्टर पवन पूनिया भी अस्पताल पहुंचे और बताया जा रहा है कि स्थिति का जायजा लेकर तत्काल प्रभाव देर रात को ही कलेक्टर को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। मामले की गंभीरता को देखते हुए अस्पताल में पीएमओ डॉ. संदीप पचार की मौजूदगी में डॉक्टरों की बैठक चली।


देर रात पीएमओ समेत 3 डाक्टर सस्पेंड

इस मामले में गुरुवार मध्य रात्रि बाद सयुक्त शासन सचिव निशा मीणा की ओर से आदेश जारी किया गया। इसमें जिला कलेक्टर झुंझुनूं से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर जिला मुख्यालय झुंझुनूं स्थित राजकीय बीडीके अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप पचार, डॉ. योगेश कुमार जाखड़ मेडिसन, डॉ. नवनीत मील बीडीके अस्पताल को निलंबित कर दिया गया।

निलंबन आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जीवित बच्चे को मृत घोषित करने की घोर लापरवाही बरतने के कारण जांच विचारधीन रखते हुए राजस्थान सिविल सेवा के तहत राज्य सरकार ने तुरंत प्रभाव से निलंबित करती है।

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सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि राजकीय भगवान दास खेतान हॉस्पिटल में रोहिताश का पोस्टमार्टम हुआ कि नहीं। अगर पोस्टमार्टम हुआ है तो वह जिंदा कैसे हो गया था।

अगर पोस्टमार्टम नहीं हुआ तो रिपोर्ट कैसे बना दी गई। बीडीके अस्पताल में जिंदा आदमी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मेडिकल ज्यूरिस्ट डॉ. नवनीत ने बनाई थी।

एक रिपोर्ट के अनुसार पोस्टमार्टम रिपोर्ट नंबर 223 के पहले पेज पर 1.50 मिनट पर मौत होना बताया गया है। वहीं अंतिम कॉलम में रिमार्क ऑफ मेडिकल ऑफिसर में डॉक्टर की ओपिनियन लिखी हुई है।

इसमें फेफडे फेल होना तथा सीओपीडी या टीबी की बीमारी से मौत होना बताया गया है। रिपोर्ट पर डॉ. नवनीत के हस्ताक्षर हैं व उसके नीचे मेडिकल ज्यूरिस्ट की सील भी लगी हुई है।

स्रोत im

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