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(महत्त्वपूर्ण खबर) तो ऐसे और इतनी मशक्कत के बाद लिखी गई थी “द कश्मीर फाइल्स” फिल्म की पटकथा
नई दिल्ली। द कश्मीर फाइल्स के निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चलते वह 32 साल पहले मिले कश्मीरी पंडितों के जख्म को लोगों के सामने ला पाए हैं। वर्ष 1990 में घाटी में कश्मीरी पंडितों के साथ हुई बर्बरता को रोकने के लिए उस समय की राज्य सरकार ने कुछ नहीं किया बल्कि उस वक्त केंद्र में बैठी सरकार भी चुप रही। नरेन्द्र मोदी जब देश के प्रधानमंत्री बने तो माहौल बदला।
अनुच्छेद 370 और 35-ए को संसद के जरिए हटाना आजादी के बाद का सबसे बड़ा फैसला था। उसके बाद ही वह कश्मीर फाइल्स के जरिए कश्मीर में उस वक्त हिंदुओं के साथ हुए नरसंहार और उनके विस्थापन के दर्द को दुनियां के सामने लाने का साहस कर सकेें।
दिल्ली में अभिनेता अनुपम खेर, अभिनेत्री पल्लवी जोशी के साथ प्रेसवार्ता करते हुए विवेक रंजन अग्निहोत्री ने कहा कि पहले का राजनीतिक माहौल ही ऐसा था कि 32 साल तक किसी फिल्म निर्माता-निर्देशक ने इस विषय को छूने की हिम्मत नहीं की। इतना ही पीड़ित कई फिल्म निर्देशकों के पास भी गए थे, लेकिन सभी जगह से निराशा हाथ लगी। नए भारत की शिल्पकार सरकार के चलते कश्मीरी पंडितों के जख्म को आज पूरा भारत महसूस कर पा रहा है। उन्होंने इस फिल्म को बनाने के लिए ईमानदारी से प्रयास किया।
चार साल पहले जब इस संबंध में निर्णय लिया तो उसके बाद 700 से अधिक पीड़ितों से बातचीत करके उनके अनुभवों के आधार को करीब से समझा। उनके अनुभव भी रिकार्ड किए, जिसे सीरीज के तौर पर लाया जाएगा। उन्होंने इस फिल्म पर कांग्रेस पार्टी द्वारा सवाल उठाए जाने पर पार्टी के नेतृत्वकर्ताओं पर तंज कसा। फिल्म के अभिनेता अनुपम खेर ने कहा कि ऐसा नहीं हैं कि इस फिल्म से कल से ही विस्थापित हिंदू वहां बसने के लिए जाने लगेंगे, लेकिन इतना जरूर है कि आने वाले वर्षों में हम नहीं तो हमारे बच्चे वहां रह सकेंगे।
फिल्म के चलते कश्मीर नरसंहार को वैश्विक मान्यता
अग्निहोत्री ने बताया कि इस फिल्म के जरिए कश्मीर में हिंदुओं के नरसंहार को अब जाकर वैश्विक मान्यता मिल रही है। अमेरिका के लोकतांत्रिक व उदार राज्य- रोड आइलैंड ने इस फिल्म की वजह से यह मान्यता दी है। आने वाले सालों में यह प्रमाण कश्मीर का सच दुनिया तक पहुंचा सकेगा।