उत्तराखंड
तस्वीरों में देखें उत्तराखंड में अनूठा पर्यटन स्थल डोडीताल, यहां मिलता है ग्रामीण जीवन और पहाड़ी व्यंजनों संग ट्रैकिंग का रोमांच…….
समुद्रतल से 3,310 मीटर की ऊंचाई पर उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित डोडीताल खूबसूरत पहाड़ों से घिरा एक मनमोहक ताल है। इसे अपने शांत एवं सौम्य वातावरण के कारण उत्तर भारत के सबसे खूबसूरत एवं ऊंचाई वाले तालों में शामिल किया जाता है। इस पर्यटन स्थल की विशेषता यह है कि यहां ट्रैकिंग के रोमांच संग ग्रामीण जीवनशैली और पहाड़ी व्यंजनों का आनंद भी लिया जा सकता है।
डोडीताल का बेस कैंप अगोड़ा गांव अब सड़क से जुड़ चुका है, जिससे इस पर्यटक स्थल की दूरी 21 किमी से घटकर 16 किमी रह गई है। अगर आप भी ऐसी ही किसी जगह की तलाश में हैं तो चले आइए डोडीताल के रोमांचक ट्रैक पर और बनाइए अपने सफर को यादगार। नैसर्गिक सुंदरता को समेटे डोडीताल पर्यटकों के इंतजार में है।
वर्ष 2012 से पहले डोडीताल पर्यटकों से गुलजार रहता था, लेकिन 2013 की आपदा के कारण पर्यटकों की संख्या में काफी कमी देखने को मिली। बीते दो वर्ष में कोरोना महामारी का प्रभाव भी दिखा है।
डोडीताल के बेस कैंप अगोड़ा गांव में हर परिवार ट्रैकिंग से जुड़ा हुआ है। इसलिए यहां पर्यटकों की खास आवभगत होती है। पर्यटकों को गांव में पारंपरिक घरों में ही ठहराया जाता है। उन्हें ग्रामीण पारंपरिक पकवान खिलाते हैं। चौलाई की रोटी, राजमा की दाल, लाल चावल, आलू का थिंच्वाणी और लिंगुड़े की सब्जी खास पकवान हैं, जो जैविक होने के साथ पौष्टिक भी हैं।
इसके साथ ही डोडीताल की सैर करने वाले पर्यटक ग्रामीण परिवेश से भी रूबरू होते हैं। गांव में आयोजित मेले, शादी व अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में भी पर्यटक शामिल होते हैं। इसके साथ ही अगोड़ा गांव में 15 से अधिक ट्रैकिंग एजेंसी हैं, जहां गाइड, पोर्टर और ट्रैकिंग का सामान आसानी से उपलब्ध हो जाता है।
गणेश जन्मभूमि के नाम से प्रसिद्ध डोडीताल:
डोडीताल को भगवान गणेश का जन्म स्थान भी माना गया है। मान्यता है कि डोडीताल में स्नान करने से पूर्व माता पार्वती ने मुख्य द्वार की सुरक्षा के लिए उन्हें अपने उबटन से उत्पन्न किया था। तभी से इस स्थान को गणेश जन्मभूमि के नाम से प्रसिद्धि मिली। डोडीताल में माता पार्वती की पूजा माता अन्नपूर्णा के रूप में होती हैं। यहां माता अन्नपूर्णा का मंदिर भी है।
यहां भी घूम सकते हैं आप:
अगर आप डोडीताल की सैर पर निकल रहे हैं तो डोडीताल से पांच किमी आगे दरवा टाप पड़ता है। यह बुग्याली (मखमली घास का मैदान) क्षेत्र है। डोडीताल से 20 किमी की दूरी पर दयारा बुग्याल है, जबकि करीब 15 किमी की दूरी पर चौलादूनी स्थल। यहां बेहद खूबसूरत जल प्रपात हैं। दरवा टाप से ट्रैकिंग दल 14 किमी की दूरी तय कर सेम पहुंचते है। यहां से दस किमी की दूरी तयकर यह ट्रैक यमुनोत्री धाम के प्रमुख पड़ाव हनुमान चट्टी को जोड़ता है। इसी ट्रैक के निकट गुलाबी कांठा बुग्याल भी है।
डोडीताल की ट्रैकिंग को तीन दिन अनिवार्य:
आप डोडीताल की ट्रैकिंग पर किसी भी सीजन में आ सकते हैं। उत्तरकाशी पहुंचने के बाद डोडीताल की ट्रैकिंग के लिए आपके पास कम से कम तीन दिन का समय अनिवार्य रूप से होना चाहिए। इसमें एक दिन में डोडीताल जाना, दूसरे दिन वहां ठहरना व घूमना और तीसरे दिन वापस उत्तरकाशी लौटना शामिल है। हालांकि, कई पर्यटक एक-एक सप्ताह तक डोडीताल में कैंप करते हैं।
झील की गहराई का नहीं अनुमान:
ट्रैकिंग से जुड़े अगोड़ा निवासी संजय पंवार बताते हैं कि डोडीताल एक से डेढ़ किमी क्षेत्र में फैली षट्कोणीय झील है। इसकी गहराई कितनी है, आज तक कोई इसका अनुमान नहीं लगा पाया। पूर्व में कई विज्ञानियों और वन विभाग के अधिकारियों ने झील की गहराई को नापने का प्रयास किया, लेकिन असफल रहे। डोडीताल में ट्राउट मछली बड़ी तादाद में है। यहां ट्राउट एंग्लिंग स्पाट भी है।
ठहरने की सुविधा:
गांव अगोड़ा में 20 से अधिक परिवार होम स्टे चलाते हैं, जिनमें 150 से अधिक पर्यटक ठहर सकते हैं। जबकि, अगोड़ा व डोडीताल के बीच मांझी और बेवरा में वन विभाग की कैंपिंग साइट है। यहां पर्यटक अपने टेंट लगाकर ठहर सकते हैं। डोडीताल में धर्मशाला, कैंपिंग साइट और वन विभाग का गेस्ट हाउस भी उपलब्ध हैं। वन विभाग के गेस्ट हाउस के लिए उत्तरकाशी प्रभागीय वनाधिकारी कार्यालय से अनुमति लेनी होती है। यहां पर्यटक एक कमरे का एक हजार रुपये शुल्क देकर ठहरते हैं।
ऐसे पहुंचें:
जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 18 किमी अगोड़ा गांव तक सड़क मार्ग है। यहां से बेवरा, छोटी व बड़ी उड़कोटी, मांझी होते हुए ट्रैकिंग कर डोडीताल पहुंचा जाता है। डोडीताल से पांच किमी आगे दरवा टाप पड़ता है। यहां पर्यटक बुग्याल का लुत्फ उठाते हैं। दरबा से ट्रैकिंग दल 14 किमी की दूरी तय कर सेम और यहां से दस किमी की दूरी तय कर यमुनोत्री के पास हनुमान चट्टी पहुंचते हैं।
ऋषिकेश व हरिद्वार से उत्तरकाशी तक वाहन सुविधा उपलब्ध है। यहां से अगोड़ा गांव पहुंचने के लिए आसानी से टैक्सी उपलब्ध हैं। देहरादून के सहस्रधारा हेलीपैड से चिन्यालीसौड़ (उत्तरकाशी) तक हेलीकाप्टर सेवा भी उपलब्ध है।
कब पहुंचें:
अगोड़ा से डोडीताल का ट्रैक वर्षभर खुला रहता है। शीतकाल में यह ट्रैक स्नो ट्रैकिंग के लिए सबसे उपयुक्त है, लेकिन इस अवधि में केवल डोडीताल तक ही ट्रैक सुचारू रहता है। डोडीताल से आगे दरबा टाप, चौलादूनी आदि ट्रैक अधिक बर्फबारी के कारण बंद रहते हैं। डोडीताल ट्रैक पर हर वर्ष लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी, मसूरी के प्रशिक्षु भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी भी ट्रैकिंग के लिए आते हैं। अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक इस ट्रैक पर मनमोहक दृश्य देखने को मिलते हैं।
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