उत्तराखंड
उत्तराखंड के किसानों के दर्द पर आखिर कब लगेगा मरहम, जाने आखिर क्या है पूरा मामला
कालाढूंगी/कोटाबाग। भले ही सरकार कृषि कानून बनाकर किसानों की आय दोगुना करने की बात करती हो मगर उत्तराखंड के किसानों के दर्द पर मरहम नहीं लग पा रहा है क्योंकि काश्तकारों को उचित रेट ना मिलने पर अपने तैयार फसल को नदी-नाले में फेंकने को मजबूर होना पड़ रहा है। ऐसा ही एक मामला कालाढूंगी विधानसभा के कोटाबाग क्षेत्र का है जहां किसानों को उनके खीरे का उचित रेट नहीं मिलने पर खीरे को नदी-नाले में फेंकने को मजबूर होना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि बाजार में खीर 20 से ₹25 किलो तक बिक रहा है जबकि मंडी में बैठे आढ़ती उनके खीरे की कीमत 2 से 3 रुपये प्रति किलो लगा रहे हैं ऐसे में उनकी फसल का लागत मूल्य और मंडी तक ले जाने का किराया तक नहीं निकल पा रहा है ऐसे में किसान खीरे को नाले में फेंकने को मजबूर हैं। यहां खीरे का उचित रेट नहीं मिलने पर किसानों ने कोटाबाग के गुरुड़ी नाले में अपने खीरों को फेंक दिया। ऐसे में आखिर सवाल यही उठता है कि उत्तराखंड के किसानों के दर्द पर मरहम कब लगेगा जबकि राज्य को बने 21 साल पूरे होने वाले हैं।