उत्तराखंड
ईमानदार SDM की रिपोर्ट निगल गयी सेंचुरी पेपर मिल, कई बार मांग के बाद भी नहीं हुई सार्वजनिक।
मुकेश कुमार
लालकुआ में 37 साल पहले स्थापित जहरीली सेचुरी पल्प एण्ड पेपर मिल के जहरीले प्रदूषण के खिलाफ 90 के दशक में पहली हुंकार भरने वाले आन्दोलनकारी इन्द्रर सिंह बोरा प्रधान ,किशन सिंह जग्गी ,श्यामलाल बर्मा जोकि मिल के प्रदूषण के खिलाफ जंग लड़ते लड़ते स्वर्ग सिधार गए लेकिन आज तक उनका सपना पूरा नही हो सका हालांकि उनकी इस लड़ाई को आगे जारी रखने के लिए क्रान्तिकारी नेता बहादुर सिंह जग्गी ने कई मोर्चों इस लड़ाई को लड़ा जिसके चलते पुरा बिन्दूखत्ता उनके साथ एक बैनर के निचे खड़ा हुआ वही प्रशासन ने भी जनदबाव के चलते तत्कालीन उपजिलाधिकारी शकुंतला गौतम कि अध्यक्षता में डाक्टरों कि एक टीम गठित कि कि जिसने सेंचुरी से निकलने वाले नाले के पानी के सेम्पल को लिया तथा गठित टीम द्वारा पीने के पानी के 10 हेडपंपों के सैंपल आगरा लैब में टेस्ट करने के लिए भेजे गए जिसमें से 8 सैंपल का पानी पीने के योग्य नहीं था इस पर जिला अधिकारी स्तर पर निर्णय लिया गया सेंचुरी पल्प एंड पेपर मिल से निकलने वाले नाले का पाईपी करण किया जाएगा तथा प्रभावित क्षेत्र को सेंचुरी पल्प एंड पेपर मिल चिकित्सा शिक्षा तथा अन्य सुविधाएं मुहैया कराएगा साथ ही साथ स्थानीय लोगों को 80% रोजगार दिया जाएगा लेकिन मिल कि मोटी पकड़कर के प्रशासनिक स्तर पर इस रिपोर्ट को दबा दिया गया।तथा तत्कालीन उपजिलाधिकारी शकुंतला गौतम यहां से हाटकर अन्य जगह भेज दिया।
—–कमेटी ने किया 133 के तहत मुकदमा दर्ज——
भारी जनदबाव के चलते शासन ने तत्कालीन उपजिलाधिकारी शकुंतला गौतम के नेतृत्व में जांच टीम का गठन किया जिसमें जांच करते हुए टीम ने सेंचुरी पेपर मिल खिलाफ धारा 133 के तहत मुकदमा पंजीकृत कर नाले को बस्ती से अलग करते पाईपीकरण करने के आदेश मिल प्रबन्धन को दिए थे जिसके बाद उक्त मामले मिल प्रशासन हाईकोर्ट से स्टेट ले आया जिसके बाद से मामला जस का तस बना हुआ है तथा तत्कालीन उपजिलाधिकारी का आदेश सिर्फ आज तक मौखिक ही बना हुआ है जो प्रशासन कार्यप्रणाली पर सवालिया चिन्ह खड़ा करता आ रहा है।