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उत्तराखंड (बड़ी खबर) जंगल में घुसी जेसीबी और वन अधिकारियों की मौजूदगी में हो गया ये काम, देखें एक्सक्लूसिव वीडियो और फोटो….

लालकुआं/रुद्रपुर
रिपोर्ट:- शैलेन्द्र कुमार सिंह

तराई केंद्रीय वन प्रभाग रुद्रपुर के अंतर्गत लालकुआं नगर से सटे टांडा रेंज में चीड़ खत्ता (गुज्जर झाला) पहुंचकर वन अधिकारियों और कर्मचारियों की टीम ने जिला प्रशासन और पीएसी की मौजूदगी में वन गुर्जरों द्वारा किए गए तार-बाड़ को अतिक्रमण का हवाला देते हुए वन विभाग की टीम ने जेसीबी के माध्यम से ध्वस्त कर दिया और तार-बाड़ हेतु उपयोग में लाई गई लकड़ियों और बल्लियों को भी वन विभाग ने अपने कब्जे में ले लिया।

जंगल में गुर्जर और वन कर्मियों के बीच होती नोकझोंक

वही चीड़ खत्ता में रहने वाले वन गुर्जरों का आरोप है कि वन विभाग बिना किसी सूचना के दबंगई दिखाते हुए यहां पशुओं के लिए किए गए तार-बाड़ को अतिक्रमण कारी बताकर हटा रहा है जबकि उन्हें वन अधिनियम 2006 के तहत कई अधिकार मिले हैं।

मौके पर मौजूद तहसीलदार सचिन कुमार वन गुर्जरों को समझाते हुए

इतना ही नहीं यह मामला जिलाधिकारी कार्यालय और हाईकोर्ट नैनीताल में भी लंबित है बावजूद इसके वन विभाग के आला अधिकारियों ने डेढ़ सौ से अधिक की वन कर्मियों की फोर्स के साथ यहां बिना किसी सूचना के दबंगई दिखाते हुए तार- बाड़ को हटाने का काम किया है इसके लिए वह सरकार के जनप्रतिनिधियों से भी जल्द वार्ता करके न्याय दिलाने की गुहार लगाएंगे।

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शशि कला, एसडीओ, फॉरेस्ट

सचिन कुमार, तहसीलदार, लालकुआं.

एसडीओ फॉरेस्ट शशि कला ने जानकारी देते हुए बताया कि गुर्जरों ने काफी अधिक मात्रा में अतिक्रमण किया था जिसे हटाया गया है जबकि पूर्व के तार-बाड़ को वैसा ही छोड़ा गया है यदि भविष्य में वन विभाग की भूमि पर इस प्रकार से अतिक्रमण की शिकायत मिलेगी तो आवश्यक कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। इधर जिला प्रशासन की ओर से तहसीलदार सचिन कुमार भी मौके पर पहुंचे और उन्होंने बताया कि शांतिपूर्ण तरीके से अतिक्रमण हटाने का काम किया जा रहा है जिसमें वन विभाग के साथ जिला प्रशासन शांति व्यवस्था बनाए रखने की भूमिका में है उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे वन भूमि या किसी भी सरकारी भूमि पर अतिक्रमण की सूचना मिलेगी तो इसी प्रकार से कार्यवाही अमल में लगाएगी।

गामा गुर्जर, निवासी, चीड़ खत्ता

अतिक्रमण की कार्यवाही के दौरान मौके पर मौजूद गामा गुर्जर ने जानकारी देते हुए बताया कि यहां उनके पिता से लेकर दादा दशकों से रहते आ चुके हैं और अब वर्तमान पीढ़ी यहां निवास कर रही है इतना ही नहीं वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत उन्हें यहां रहने और अपने जानवरों के लिए तार-बाड़ करने की अनुमति भी है बावजूद इसके वन कर्मी जेसीबी और ट्रैक्टर ट्रॉली के माध्यम से यहां उन्हें अतिक्रमणकारी बताकर तार बाड़ को हटाने का काम कर रहे हैं।

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मो0 इशाक, अध्यक्ष, वन गुर्जर ट्राइबल युवा संगठन

वही वन गुर्जर के अधिकारों के हक के लिए लड़ने वाले वन गुर्जर ट्राइबल युवा संगठन के अध्यक्ष मोहम्मद इशाक गुर्जर ने जानकारी देते हुए बताया कि जंगल में जितने भी वन गुर्जर आबादी निवास करती है उन्होंने दावे प्रपत्र फॉरेस्ट राइट एक्ट के अंतर्गत एसडीएलसी (समाज कल्याण) में जमा है बावजूद इसके वन विभाग ने नियम कानूनों के इतर बिना किसी नोटिस और बिना किसी मौखिक सूचना के एक तरफा कार्यवाही की है मानो कि देश में कानून का राज है ही नहीं, उन्होंने बताया कि फॉरेस्ट राइट एक्ट की कई धाराओं का हवाला भी दिया गया बावजूद इसके वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने वन गुर्जरों की एक नहीं सुनी साथ ही फॉरेस्ट राइट एक्ट की कई धाराओं का भी वन विभाग की टीम ने उल्लंघन किया है।

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इसके अलावा वन गुर्जरों के बाड़े के संबंध में मामला हाई कोर्ट में भी विचाराधीन है जिसमें यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं मगर वन विभाग ने कोर्ट के आदेशों की भी अवहेलना की है और दबंगई दिखाते हुए बिना किसी सूचना के डेढ़ सौ से दो सौ की संख्या में वन कर्मी यहां एकत्र हुए हैं ऐसे में वन गुर्जर सरकार से गुहार लगाते हैं कि उनकी आवाज मीडिया के माध्यम से सरकार में बैठे जनप्रतिनिधियों के पास पहुंचे और उनकी मदद की जाए।

गौरतलब है कि वन विभाग की कार्यवाही में कई बार नोकझोंक जैसे हालात भी बने मगर वन विभाग की एसडीओ शशि कला, तहसीलदार सचिन कुमार और वन गुर्जरों की तरफ से मौके पर पैरवी कर रहे गामा गुर्जर के आपसी सामंजस्य की वजह से कार्यवाही शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न हुई।

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