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उत्तराखंड। अगर बना रहे हैं जंगल सफारी का प्लान, तो इन बातों का रखना होगा ध्यान, वन विभाग ने तैयार की नई गाइडलाइन

अगर आप उत्तराखंड में जंगल सफारी का बना रहे हैं प्लान तो इन बातों का रखना होगा विशेष ध्यान क्योंकि वन विभाग ने इस संबंध में नई गाइडलाइन तैयार कर ली है।

प्रदेश के दोनों टाइगर रिजर्व समेत सभी संरक्षित क्षेत्रों और इनके आसपास के स्थलों में पर्यटन गतिविधियों के मद्देनजर पर्यटकों के लिए तैयार की गई गाइडलाइन में ये बिंदु शामिल किए गए हैं। विभाग ने यह गाइडलाइन अनुमोदन के लिए शासन को भेज दी है।

जंगल सफारी के दौरान कई मर्तबा पर्यटक वाहन से बाहर निकल फोटोग्राफी करने लगते हैं। ऐसे में वन्यजीवों के सामने आने पर खतरे की संभावना बनी रहती है। इसके साथ ही सैलानियों द्वारा जंगल में साथ ले जाई गई खाने-पीने की बची-खुची वस्तुओं और पालीथिन की थैलियों को यत्र-तत्र फेंके जाने की बात सामने आती रही है।

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इससे जहां वन्यजीव सफारी ट्रैक के आसपास आ धमकते हैं, वहीं पालीथिन से वन एवं वन्यजीव दोनों के लिए दिक्कतें होना स्वाभाविक है। पूर्व में हुए एक अध्ययन में जंगली जानवरों के मल में पालीथिन के टुकड़े मिलने की बात सामने आई थी। यही नहीं, संरक्षित क्षेत्रों से लगे पर्यटक स्थलों से निकलने वाले ब्लैक वाटर (शौचालयों से निकला पानी), ग्रे वाटर (रसोई व स्नानगृहों से निकला पानी) का निस्तारण न होने से भी दिक्कतें पेश आ रही हैं।

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इस सबको देखते हुए पूर्व में राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में दोनों टाइगर रिजर्व समेत संरक्षित क्षेत्रों और इनसे सटे पर्यटक स्थलों में सैलानियों, वन एवं वन्यजीवों की सुरक्षा के दृष्टिगत गाइडलाइन तैयार करने का निर्णय लिया गया था। राज्य वन्यजीव बोर्ड की 10 दिसंबर को हुई बैठक में भी इस विषय पर विमर्श हुआ।

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तब वन विभाग की ओर से बताया गया था कि प्रस्तावित गाइडलाइन को अंतिम रूप दिया जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि अब विभाग ने यह गाइडलाइन शासन को अनुमोदन के लिए भेज दी है।

इसमें कचरा प्रबंधन के साथ ही ब्लैक व ग्रे वाटर के प्रबंधन और उपचार को प्रभावी कदम उठाने पर भी जोर दिया गया है। शासन इसका अध्ययन कर रहा है। शासन से हरी झंडी मिलने पर यह गाइडलाइन जारी कर दी जाएगी।

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