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पाकिस्‍तान की जेल में मिली यातनाओं को याद कर सिहर उठता है बक्‍सर का छवि, बताई दर्दभरी दास्‍तान

करीब 12 साल पहले बक्सर के चौसा खिलाफतपुर के रहने वाले छवि मुसहर ने अपनी ससुराल आरा जाने के लिए ट्रेन पकड़ी थी। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। वह ससुराल तो नहीं पहुंच पाया, अलबत्ता लुधियाना, पंजाब के रास्ते पाकिस्तान (Pakistan) जरूर पहुंच गया। पाकिस्तान की पुलिस ने  मानसिक रूप से अस्वस्थ छवि को जेल में डाल दिया। इसके बाद यातनाओं का जो सिलसिला शुरू हो गया। भारत का जासूस बता इस युवक को इतनी यातनाएं दी गईं कि उसे याद कर छवि सिहर उठता है। पाकिस्तान में 12 साल का लंबा वक्त गुजारने के बाद मंगलवार की सुबह अपने घर खिलाफतपुर पहुंचे छवि ने अपनी आपबीती सुनाई। जिसे सुन कर ग्रामीणों के रोंगटे खड़े हो गए।

ससुराल के निकला और पहुंच गया पाकिस्‍तान

छवि ने बताया कि वर्षों पहले अपने ससुराल के लिए वह घर से निकला था, लेकिन उसने गलत ट्रेन पकड़ ली और वह पंजाब के लुधियाना पहुंच गया। वहां से भटकते-भटकते वह पाकिस्तान चला गया। छवि ने बताया कि पाकिस्तान पहुंचने के बाद भी वहां वह भटकता रहा। उसके बाद उस पर पाकिस्तान की पुलिस की नजर पड़ी। पाकिस्तान की पुलिस ने उसे भारतीय जासूस समझ लिया और जेल में डाल दिया। छवि ने यह तो बताया कि वह तीन साल ही पाकिस्तान की जेल में रहा और उससे पहले यूं ही भटकता रहा और किसी तरह पेट पालता रहा। लेकिन वह कितने दिन जेल से बाहर रहा, यह नहीं बता पाया।

छोटे भाई को नहीं पहचान पाया छवि

बहरहाल, घर पहुंचने के बाद वह खुशी से फूले नहीं समा रहा है। घर पहुंचते ही उसने सबसे पहले मां का पैर छूआ। शीश नवाकर धरती को भी चूमा। उसके पहुंचने के बाद घर का माहौल भावुक हो गया। उसको देखने के लिए गांव मुहल्ले वालों की भीड़ लगने लगी। अपने मुहल्ले व जानने वाले लोगों को छवि ने देखा तो सभी अपने से बड़े लोगों को पहचान गया, लेकिन अपने छोटे भाई जो उस समय दो तीन वर्ष का रहा होगा, को पहचान नहीं पाया। उसकी दिमागी हालत  ठीक नहीं लग रही है। कहता है कि वह तीन-चार साल पहले ही यहां से गया था।

पाकिस्तान की जेल में कई- कई दिन तक रखा गया भूखा

छवि बताता है कि कई दिनों तक इधर-उधर भटकने के बाद उसपर पाकिस्‍तानी पुलिस की नजर पड़ी। इसके बाद उसे गिरफ्तार कर ले जाया गया। जेल में कई तरह की यातनाएं दी गईं। कई दिनों तक भूखा-प्‍यासा रखा गया। उसने अपना नाम-पता भी बताया। लेकिन पाकिस्‍तानी पुलिस को रहम नहीं आई। वे उसे मारते-पीटते रहे। लेकिन जब उन्‍हें विश्‍वास हो गया कि यह जासूस नहीं है तब फिर उसे कुछ राहत मिली।  

स्रोत इंटरनेट मीडिया

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