उत्तराखंड
लालकुआं/हल्द्वानी। शुभम अंडोला को उनके संघर्ष की गाथा और सामाजिक परिवेश में सक्रिय भागीदारी ने बनाया हल्द्वानी रत्न, देखें कुछ झलकियां….
लालकुआं/हल्द्वानी
रिपोर्ट:- शैलेन्द्र कुमार सिंह
पंखुड़िया सांस्कृतिक, पर्यावरण एवं दिव्यांग कल्याण समिति हल्दूचौड़ द्वारा सक्रिय समाजसेवी शुभम अंडोला को हल्द्वानी रत्न से नवाजा गया है। उन्हें यह सम्मान ऐसे ही नहीं मिला बल्कि उनके संघर्ष की गाथा को देखते हुए और वर्तमान परिपेक्ष्य में उनकी समाज में सक्रिय भागीदारी के दृष्टिगत उन्हें हल्द्वानी रत्न सम्मान दिया गया है।
शुभम अंडोला भले ही वर्तमान समय में गरीब, असहाय, जरूरतमंद एवं प्रतिभावान लोगों की मदद करते हों मगर एक दौर ऐसा भी था जब वह खुद मदद लेकर अपने कारोबार को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे। वर्ष 1989 की बात है जब उनका परिवार बागेश्वर से हल्द्वानी आया था उस समय वह किराए के एक मकान में रहते थे उन्होंने अपने ताऊ जी से वर्ष 2002 में ₹20000 की मदद लेकर पीसीओ एसटीडी का कारोबार शुरू किया था।
इसके बाद उन्होंने 2003 में जब सेकंड हैंड कर ली तब भी उन्होंने अपने पड़ोसी गोविंद सिंह राणा से ₹10000 की मदद ली थी वह बताते हैं कि उन्होंने दीपावली आई तो रोड फड़ लगाकर बम पटाखे बेचे हैं, रक्षाबंधन में राखी बेची है, न्यू ईयर में ग्रीटिंग कार्ड तक बेचे हैं पर उन्होंने शुरू से ही किसी और की नौकरी करने के बजाय स्वयं आत्मनिर्भर बनना पसंद किया और एक छोटा कारोबार प्रारंभ किया, यहां तक की कपड़े सिलने का काम और उन्होंने बतौर टैक्सी चालक का भी काम किया 2005 से 2008 तक गोला में डंपर का काम भी किया है।
कोरोना काल में उन्होंने लोगों की काफी मदद करी उस नेक काम के लिए भी उन्हें एसएसपी नैनीताल द्वारा सम्मानित किया गया उस समय ऐसे ही कई उदाहरण है जो उनके संघर्ष की गाथा को याद दिलाते हैं।
मगर धीरे-धीरे समय बदलता चला गया और वह सफलता की सीढ़ियों को चढ़ने में कामयाब रहे। उन्होंने अपने माता-पिता के आशीर्वाद से धीरे-धीरे काम करना प्रारंभ किया और आज वह इस मुकाम पर पहुंच गए हैं कि वह लोगों की समय-समय पर मदद करते रहते हैं।
शुभम आंडोला का मानना है कि उन्होंने भी वह दौर देखा है जब उनके पास कुछ नहीं था ऐसे में ईश्वर की कृपा जब उन पर बनी है तो वह भी पीड़ित, असहाय एवं प्रतिभावान लोगों की मदद अवश्य करते हैं।
उन्होंने जब बिन्दुखत्ता में आपदा के समय मकान बहने की घटना सामने आई तो एक पीड़ित परिवार को अपने पुत्र दक्ष के माध्यम से 51 हजार रुपए भेंट किये, इतना ही नहीं वह नवरात्रों में धार्मिक पूजन मलिन बस्तियों में जाकर गरीब बच्चों के साथ करते हैं और उन्हें भेंट भी देते हैं।
उन्होंने अपने माता-पिता की 51वीं वर्षगांठ के अवसर पर पत्रकार उमेश पंत को ₹11000 की आर्थिक मदद दी हालांकि आज उमेश पंत हमारे बीच नहीं है मगर उनका परिवार आज भी शुभम अंडोला का ऋणी है, इतना ही नहीं पहाड़ समाचार लाइव के पत्रकार गढ़वाल निवासी ठाकुर इंद्रजीत असवाल के बेटे को इलाज के लिए ₹11000 की मदद की।
वहीं लालकुआं नगर क्षेत्र में नगीना कॉलोनी के रेलवे द्वारा बेघर हुए लोगों को भोजन की व्यवस्था कर रहे नेहा रोटी बैंक को ₹11000 की मदद की थी इसी क्रम में उन्होंने प्रतिभावान और ऊर्जावान अल्मोड़ा निवासी युवा चमन वर्मा को अपने आवास पर बुलाकर 51 हजार रुपए का चेक सौंपकर उनका काफी सम्मान कर चमन के उज्जवल भविष्य की कामना की थी।
वहीं देवभूमि एक पहल समिति रुद्रपुर के बच्चों की पढ़ाई लिखाई हेतु अपनी फर्म हीरा एन्ड टीआर सप्लायर के माध्यम से 60 बच्चों को निशुल्क नोटबुक इत्यादि उपलब्ध कराई थी। हाल ही की बात करें तो उन्होंने मोटाहल्दू पाडलीपुर स्थित एक असहाय राधा कृष्ण पाठक का परिवार जिसमें दुर्घटना में चोटिल एक बेटा, पैरालिसिस उनकी पत्नी और वह स्वयं खाना बनाते समय आग से झुलस गए, इस घटना की सूचना मिलने के बाद उन्होंने परिवार को तत्काल ₹11000 भेंट किया और 50 किलो राशन भी उपलब्ध कराया।
इसके अलावा बिंदुखत्ता निवासी वीरेंद्र कुमार के तीन वर्षीय पुत्र जो ब्लड कैंसर से पीड़ित है और उसका इलाज ऋषिकेश एम्स में चल रहा है उसे भी ₹5100 ऑनलाइन ट्रांसफर किया साथ ही UK LIVE 24 के साथ मिलकर एक पहल शुरू की जिसमें परिवार को लगभग 60 से 70 हजार रुपए अन्य लोगों के सहयोग से उपलब्ध कराये। ऐसे ही कई उदाहरण है जिसकी वजह से शुभम अंडोला चर्चाओं में आए और उनकी इसी संघर्ष की गाथा और समाज सेवा में सक्रिय भूमिका को ध्यान में रखते हुए पंखुड़ियां संस्था द्वारा हल्द्वानी रत्न देकर सम्मानित किया गया।
इधर शुभम आंडोला का कहना है कि उन्हें यह सम्मान पाकर बेहद खुशी हो रही है मगर उनका उद्देश्य है कि सभी लोगों को मिलजुलकर ऐसे ही एक दूसरे का सहयोग करते रहना चाहिए ताकि समाज में मानवता जिंदा रहे उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य कोई राजनीति करना नहीं है मगर गरीबों की सहायता करने में उन्हें जो सुकून मिलता है वह कहीं और नहीं मिल सकता।