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5जी इंटरनेट सेवा भारत में हुई लॉन्च, जाने आप तक कब पहुंचेगी ये सेवा और क्या होंगे इसके लाभ

आखिरकार भारत भी उन गिने-चुने देशों में शामिल हो गया है जिसमें 5जी इंटरनेट सेवा चालू है ।यूरोपियन कंट्री और अमेरिका, जापान, कोरिया आदि देशों को छोड़ दे तो भारत में भी अब प्रथम चरण में बड़े महानगरों में 5G सेवा इंटरनेट उपभोक्ताओं को मिलने लगेगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को पहली बार 5जी इंटरनेट सेवा का इस्तेमाल कर इतिहास रच दिया। ‘इंडिया मोबाइल कांग्रेस-2022’ के उद्घाटन के अवसर पर पीएम मोदी ने 5जी तकनीक का शुभारंभ किया। यह पहली बार है, जब देश में किसी जगह पर 5जी का सफलतापूर्वक इस्तेमाल हुआ।

ऐसे में यह जानना अहम है कि 5G आखिर है क्या? इस स्पेक्ट्रम नीलामी में किसे क्या मिला? 5G के आने से क्या फर्क पड़ेगा? क्या इसके आने के बाद डेटा प्लान महंगे हो जाएंगे? आम उपभोक्ता को कब तक 5G सेवाएं मिलने लगेंगी?  5G स्पीड के अलावा और कौन सी सुविधाएं मिलेंगी?

5G है क्या?
आसान शब्दों में समझें तो 5G सबसे आधुनिक स्तर का नेटवर्क है, जिसके अंतर्गत इंटरनेट स्पीड सबसे तेज होगी। इसकी विश्वसनीयता ज्यादा होगी और इसमें पहले से ज्यादा नेटवर्क को संभालने की क्षमता होगी। इसके अलावा इसकी मौजूदगी का क्षेत्र ज्यादा होगा और एक्सपीरियंस भी यूजर फ्रेंडली होगा। 5G की सबसे खास बात यह है कि यह निचली फ्रीक्वेंसी के बैंड से लेकर हाई बैंड तक की वेव्स में काम करेगा। यानी इसका नेटवर्क ज्यादा व्यापक और हाई-स्पीड होगा। 

5G के आने से क्या फर्क पड़ेगा? 
4G के मुकाबले 5G में यूजर को ज्यादा तकनीकी सहूलियतें मिलेंगी। 4G में इंटरनेट की डाउनलोड स्पीड 150 मेगाबाइट्स प्रति सेकंड तक सीमित है। 5G में यह 10 जीबी प्रति सेकंड तक जा सकती हैं। यूजर्स सिर्फ कुछ सेकंड्स में ही भारी से भारी फाइल डाउनलोड कर सकेंगे। 5G में अपलोड स्पीड भी एक जीबी प्रति सेकंड तक होगी, जो कि 4G नेटवर्क में सिर्फ 50 एमबीपीएस तक ही है। दूसरी तरफ 4G के मुकाबले 5G नेटवर्क का दायरा ज्यादा होने की वजह से यह बिना स्पीड कम हुए भी कई और डिवाइसेज के साथ जुड़ सकेगा। 

क्या इसके आने के बाद डेटा प्लान महंगे हो जाएंगे?
यूजर्स के लिए सबसे बड़ा सवाल है 5G इंटरनेट के लिए चुकाई जाने वाली कीमत का है। चूंकि भारत में स्पेक्ट्रम नीलामी कुछ समय पहले ही पूरी हुई है, ऐसे में टेलीकॉम कंपनियों जल्द ही अपने प्लान्स के बारे में जानकारी दे सकती हैं। हालांकि, नई तकनीक को लाने में हुए खर्च की वजह से 5G सेवा की कीमतें 4G से ज्यादा रहने का अनुमान है। 

जिन देशों में 5G सेवाएं लॉन्च हो चुकी हैं, अगर उनमें 4G और 5G की कीमतों का अंतर देखा जाए तो सामने आता है कि अमेरिका में 4G अनलिमिटेड सेवाओं के लिए जहां 68 डॉलर (करीब पांच हजार रुपये) तक खर्च करने पड़ते थे, वहीं 5G में यह अंतर बढ़कर 89 डॉलर (करीब 6500 रुपये) तक पहुंच चुका है। अलग-अलग प्लान्स के तहत ये फर्क अलग-अलग होता है। 4G के मुकाबले 5G प्लान 10 से 30 फीसदी तक महंगे हैं। 

हालांकि, भारत में यह फर्क काफी कम रहने की उम्मीद है, क्योंकि बीते वर्षों में भारत में डेटा की कीमत दुनिया में सबसे कम रही है। इसी साल मार्च में एयरटेल के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (सीटीओ) रणदीप सेखोन ने कहा था कि 5G के प्लान्स 4G के ही आसपास रखे जाएंगे। मोबाइल कंपनी नोकिया इंडिया के सीटीओ रणदीप रैना भी एक इंटरव्यू में कह चुके हैं कि भारत में जल्दी 5G के रोलआउट के लिए प्लान्स की कीमतों को कम ही रखा जाएगा। 

आम उपभोक्ता को कब तक 5G सेवाएं मिलने लगेंगी?   
रिपोर्ट्स के मुताबिक, टेस्टिंग के लिए 12 शहरों में 5G सेवाएं सितंबर से ही शुरू हो जाएंगी। हालांकि, पूरे भारत में इसके पहुंचने में 2023 की पहली तिमाही तक का समय लग सकता है। रिलायंस ने इस दिवाली तक दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता जैसे महानगरों में इस दिवाली तक 5G सेवाएं शुरू करने का एलान किया है। कंपनी ने दिसंबर 2023 तक देश के हर शहर, हर तालुका 5G सेवाएं पहुंचाने की बात कही है। 

5G स्पीड के अलावा और कौन सी सुविधाएं मिलेंगी?
5G की लॉन्चिंग के बाद हमारे जीवन, कारोबार और काम करने के तरीके-सब बदलने के कयास लगाए जा रहे हैं। दरअसल, 5G की उन्नत तकनीक और उच्च क्षमता सभी चीजों को एक दूसरे से जोड़ देगी- घर, बगैर ड्राइवर वाली कार, स्मार्ट ऑफिस, स्मार्ट सिटी और उन्नत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस। कई अर्थों में, तकनीक से जिन बेहतर और असंभव बदलावों के बारे में हम अक्सर सोचते हैं, 5G नेटवर्क से वे सब संभव हैं।

यह संभावना जताई जा रही है कि 5G तकनीक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में-खासकर अस्पतालों, हवाई अड्डों और डाटा संग्रहण में बड़ी भूमिका निभाएगी। वायरलेस तकनीक की अगली पीढ़ी सिर्फ फोन तक सीमित नहीं होगी।

क्या 5G सेवाओं के लिए आपके पड़ोस में लगेंगे और टावर?
5G की एक खास बात यह है कि यह उन्हीं रेडियो फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल करेगा, जिन पर मौजूदा मोबाइल डेटा, वाई-फाई और सैटेलाइट संचार चलता आ रहा है। यानी टेलीकॉम कंपनियां 5G नेटवर्क के लिए आपके पड़ोस में कोई अतिरिक्त टावर नहीं लगाएंगी। 

किन कंपनियों को कौन सा स्पेक्ट्रम मिला?
टेलीकॉम विभाग ने कुल 72,097.85 मेगाहर्ट्ज के स्पेक्ट्रम को 20 साल के नीलामी में उतारे। स्पेक्ट्रम नीलामी में सबसे अधिक बोली रिलायंस जियो इंफोकॉम ने अपने नाम किया है। रिलायंस ने कुल 24,740Mhz स्पेक्ट्रम की खरीदारी की है। रिलायंस ने 700Mhz, 800Mhz, 1800Mhz, 3300Mhz और 26Ghz स्पेक्ट्रम के लिए बोलियां लगाई।

स्पेक्ट्रम खरीदारी की होड़ में दूसरे नंबर पर भारती एयरटेल रही। भारती एयरटेल ने 19,867Mhz स्पेक्ट्रम की खरीदारी की है। वहीं, वोडाफोन-आइडिया ने 6228Mhz स्पेक्ट्रम की खरीदारी की है। दूरसंचार की दुनिया की दुनिया में पहली बार कदम रख रही अदाणी डेटा नेटवर्क्स ने 26Ghz एयरवेव स्पेक्ट्रम के लिए बोली लगाकर 400Mhz स्पेक्ट्रम की खरीदारी की है। बता दें कि देश में पहली बार 5जी स्पेक्ट्रम की  नीलामी बीते 26 जुलाई को शुरू हुई थी जो एक अगस्त 2022 समाप्त हो गया है। 

 इससे पहले 4जी स्पेक्ट्रम की नीलामी के दौरान कुल 77815 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। अब 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी के दौरान स्पेक्ट्रम नीलामी से सरकार की आमदनी लगभग दोगुनी हो हुई है।  5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी के दौरान कंपनियों ने 1,50,173 करोड़ रुपये के स्पेक्ट्रम के लिए बोली लगाई है।

स्रोत इंटरनेट मीडिया

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