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अपराधियों की पहचान के लिए लोकसभा में लाया गया बिल पास, जाने पूरा मामला
नई दिल्ली। दंड प्रक्रिया शिनाख्त विधेयक को लोकसभा में पास कर दिया गया है। इस बिल के तहत आरोपी के जैविक सैंपल, फिंगर प्रिंट, फुट प्रिंट आदि के सैंपल को लिए जाने का प्रावधान है जिससे कि अपराधियों को सजा दिलाने में मदद मिले और जल्द से जल्द मामलों का निपटारा हो।
इस बिल को गृहमंत्री अमित शाह के जवाब के बाद पास कर दिया गया। विपक्ष ने इस बिल को लेकर कई सवाल खड़े किए थे और मांग की थी कि इस बिल को स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए। अमित शाह ने कहा कि जो लोग यह कह रहे हैं कि इससे मानवाधिकारों को हनन होगा उन्हें यह भी सोचना चाहिए कि रेप पीड़िताओं के भी मानवाधिकार होते हैं।
अमित शाह ने कहा कि विपक्ष को सिर्फ बलात्कारियों, लुटेरों की चिंता होती है, लेकिन केंद्र सरकार कानून का पालन करने वालों के बारे में सोचता है, उनके मानवाधिकारों के बारे में सोचता है। बता दें कि विपक्ष का कहना है कि यह बिल मूल अधिकारों और मानवाधिकारों के खिलाफ है। यह बिल निजता के अधिकार के खिलाफ है। लेकिन सरकार का कहना है कि हमे आम नागरिकों के मानवाधिकारों की भी चिंता करनी चाहिए।
बता दें कि लोकसभा ने जो बिल पास किया है उसके तहत सजायाफ्ता या फिर किसी भी आरोप में गिरफ्तार व्यक्ति के शरीर की मांप ली जा सकेगी, इसमे व्यक्ति का फिंग प्रिंट, आंखों की आयरिश का नमूना, ब्लड, हस्ताक्षर आदि शामिल है। मजिस्ट्रेट के आदेश पर यह नमूने लिए जा सकेंगे। ये नमूने सिर्फ थानाध्यक्ष, हेड कॉन्स्टेबल और जेल के हेड क्वार्टर या फिर उच्च अधिकारी ही ले सकेंगे। इन आंकड़ों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की होगी। इस बिल के पास होने के बाद 75 सालों तक लोगों के नमूनों को सुरक्षित रखा जाएगा। लेकिन सजा खत्म होने के बाद इस डेटा को पहले भी खत्म किया जा सकता है।