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उत्तराखंड

विधानसभा में बुजुर्ग नेताओं को तवज्जो देना कांग्रेस को पड़ सकता है भारी” अपने साथ कहीं ले ना डूबे चुनाव में पार्टी को।

मुकेश कुमार

लालकुआ नजदीक आते विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के युवा कार्यकर्ता मुखर होकर मैदान में उतर आए हैं वही 82 पार कर चुके हैं बुजुर्ग नेता भी पर्दे के पीछे से दावेदारी कर रहे हैं किसी ने जन-संवाद का रास्ता अपनाया है तो कोई लोगों के घर-घर जाकर जनसंपर्क कर रहा है अन्य दावेदार धार्मिक आयोजन कर महिला मतदाताओं में पैठ जमाने की फिराक में हैं
इसके अलावा कई देहरादून और दिल्ली के नेताओं से सीधे संपर्क में हैं अगर लालकुआ विधानसभा में काग्रेंस को अपनी घर वापसी करनी है तो उसे युवा चेहरे पर दाव खेलना होगा नही तो फिर से काग्रेंस को दूबरा पांच वर्ष के लिए वनवास को जाना होगा।
बताते चले कि विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही काग्रेंस के दावेदार अपने-अपने स्तर से विधानसभा क्षेत्र में अपनी पैठ जनता में बैठाने में जुट गए हैं कहे तो मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक और पंडित की मंदिर तक की तर्ज पर दावेदार जनता के बीच दौड़ रहे है इस बार लालकुआ विधानसभा का चुनावी रण जीतना कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है लेकिन पार्टी में दावेदारों की संख्या अपेक्षाकृत ज्यादा है इनमें ऐसे भी नेता है जो पुरी तरह से बुजुर्ग हैं कहे तो 82 पार कर चुके है जो ठीक से चल भी नही सकते वो भी टिकट कि दौड़ है ऐसे अगर उन्हें काग्रेंस पार्टी टिकट देती है तो खुद के साथ साथ पार्टी को भी ले डूबेंगे ।क्योंकि युवा कार्यकर्ता पार्टी का आदेश सिर-माथे मानकर जिसे टिकट मिलेगी उसके पीछे लग जाएंगे लेकिन जिनके मन में टिकट नहीं मिलने की कसक रहेगी वह पीछे लग कर भीतरघात का खेल खेलकर पार्टी और प्रत्याशी दोनों को नुकसान पहुचाने का काम करेंगे इनके अलावा तीसरी श्रेणी उनकी होगी जो टिकट मिले या नहीं मिले लेकिन चुनाव जरूर लड़ेंगे की ठाने हुए है वही क्षेत्र के बुजुर्ग नेताओं ने भी हर हाल में चुनाव लड़ने का मान बना लिया है उनके प्रचारक विधानसभा क्षेत्र में घर घर घूम रहे हैं।
इधर टिकट के एक अन्य दावेदार जो खुद कुछ नहीं कह रहे लेकिन उनके समर्थकों का कहना है कि अगर युवा चेहरे को टिकट नहीं मिला तो बिना टिकट के ताल ठोकेंगे चुनाव तो इस बार लडऩा ही है क्योंकि काग्रेंस में दावेदार और भी हैं परन्तु पार्टी के निर्णय की खिलाफत हर कोई भीतरघात करने कि तैयारी में है अलबत्ता बुजुर्ग उम्मीदवार थोपे जाने पर युवा कार्यकर्ता चुनाव से कन्नी काट कर पार्टी को आईना दिखा सकते है वैसे तो कांग्रेस में युवा चेहरे के रूप में देखा जाये तो हरेंद्र बोरा और महिला नेत्री संध्या डालकोटी,राजेंद्र खनवाल,खष्टी बिष्ट हरेन्द्र क्वीरा प्रमुख दावेदार हैं टिकट नहीं मिलने पर इनमें से कोई पार्टी का विरोध तो नहीं करेगा लेकिन इनके समर्थक अपने-अपने हिसाब से किसी प्रत्याशी का समर्थन करेंगे कहे तो गुटबाजी के कारण काग्रेंस पार्टी में भीरतघात जरूर होगा ऐसे में पार्टी अगर बुजुर्ग प्रत्याशी पर दाव खेलती है तो उसे भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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