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उत्तराखंड

अखिर क्यों डरता है प्रशासन “सेंचुरी मिल प्रबंधन की मजबूत पकड़े से -:–

मुकेश कुमार

लालकुआ सेंचुरी पल्प एण्ड पेपर मिल के प्रदूषण से आस-पास की करीब एक लाख आबादी बुरी तरह प्रभावित है अस्थमा, दमा, पीलिया, एलर्जी से लेकर कैंसर जैसी घातक बीमारियों के शिकार लोग असमय काल के गाल में समा गये पिछले 10 साल से स्थानीय लोग निरंतर आंदोलनरत हैं कि उनकी जिंदगियां यूं तबाह न की जाएं क्षेत्र कि महिलाएं तो अपने परिजनों की जीवन रक्षा के लिए कंपनी के संचालकों को राखी बांधने तक पहुंची हैं तथा प्रदूषण की जांच के लिए उच्च अधिकारियों की कमेटी गठित किए जाने के बावजूद प्रभावित जनता को राहत नहीं मिल सकी है ।
बताते चले कि 80 के दशक में लालकुआं में सेंचुरी पल्प एण्ड पेपर मिल कंपनी स्थापित की गई थी पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के अथक प्रयासों से यह कंपनी यहां लग सकी थी बिरला गु्रप की इस कंपनी के लगने से पहले ही लालकुआं, बिन्दुखत्ता घोड़ानाला, राजीव नगर में काफी आबादी बस गई थी तब पहाड़ से बड़ी संख्या में पलायन कर लोग यहां आकर इस उम्मीद से बसे कि उन्हें इस कंपनी में रोजगार मिलेगा। उन्हें रोजगार मिला हो या ना मिला हो, लेकिन बीमारियां जरूर मिली। स्थानीय लोगों को कंपनी में ठेकेदारी के अंतर्गत रोजगार मिला है। स्थाई नौकरी में ज्यादातर बाहर के लोग हैं, जबकि कंपनी दावा करती है कि वह 70 प्रतिशत स्थानीय लोगों को रोजगार दे रही है। 10 हजार लोग कंपनी में काम कर रहे हैं। इसी के साथ कंपनी आस-पास के लोगों को समुचित विकास देने की भी बात करती है। विकास की एक तस्वीर यह है कि पिछले 30 साल में यहां 6 हैंडपंप लगाए गए हैं। जिनमें से 2 हैंडपंप खराब हैं। हालाकि कंपनी 10 हैंडपंप लगाने का दावा करती है। यहां के लोगों को नाराजगी यह भी है कि कंपनी के जल, वायु और ध्वनि प्रदूषण की मार वह झेल रहे रहे हैं, लेकिन पार्क नैनीताल, हल्द्वानी और रुद्रपुर में बनाए जाते हैं।

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–अखिर क्यों डरता है प्रशासन कार्रवाई से— – – – – – – – स्थानीय लोगों द्वारा प्रदूषण नियंत्रण करने की मांग कई सालों चलती आ रही है लेकिन प्रशासन कार्रवाई करता कहीं नजर नहीं आ रहा है। क्योंकि उसकी एक वजह मील प्रबंधन की अच्छी पकड़। जब कभी प्रशासन पर कार्रवाई का दबाव बनता है तो उसे पहले मील प्रबंधन और प्रशासन की साठगांठ हो जाती है। और कार्रवाई ठन्डे बस्ते में डाल दी जाती है।

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शकुन्तला गौतम की रिपोर्ट का पता नहीं।——
नाबे के दशक में सेंचुरी के दूषित पानी के खिलाफ स्थानीय लोगों द्वारा किये प्रदर्शन पर तात्कालिकन उप जिलाधिकारी शकुन्तला गोतम द्वारा लिये केमिकल युक्त पानी के सेम्पल कि रिपोर्ट का आज तक पता नहीं चल पाया है वहीं प्रर्दशनकारी भी इसी रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग शासन प्रशासन से कर चुके है। जो आज तक नहीं हूई।

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–अब होगी आर पार की लड़ाई–
इधर स्थानीय निवासी हर्ष बिष्ट ने कहा कि क्षेेत्र की जनता पिछले कई सालों से सेंचुरी पेपर मिल से निकालने वाले जहरीले प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है लेकिन मामला इतना गम्भीर होने के बाद भी शासन प्रशासन द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं जो सोचने बिषय है उन्होंने मील प्रबंधन एवं जिला प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि अब तक जो भी अन्दोलन हुए उसे शासन प्रशासन द्वारा दबा दिये गये लेकिन जनता सब समझ चुकी है अब लडाई आर पार की होगी जिसके लिये तैयारियां चल रही है।

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