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उत्तराखंड

(किच्छा/देहरादून) कौन हैं राज्य आंदोलनकारी ललित कांडपाल, आखिर उन्होंने क्यों उठाये राज्य स्थापना से लेकर अब तक आंदोलनकारियों के हितों से जुड़े मुद्दे।

कहने को तो राज्य स्थापना को 21 साल पूरे होने को है मगर राज्य बनने से लेकर अब तक तमाम सरकारों ने आंदोलनकारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए कई कार्य किये एवं कई मामलों में अनदेखी की गई। पूरे मामले में प्रमुख राज्य आंदोलनकारी ललित कांडपाल एवं विक्की पाठक ने संयुक्त प्रेस वार्ता करते हुए कहा कि अब तक राज्य सरकार द्वारा राज्य आंदोलनकारियों के हितों में काम करने से लेकर उनकी अनदेखी होती रही है।

तत्कालीन एनडी तिवारी सरकार में राज्य आंदोलनकारियों के हितों से जुड़े फैसले लिए गए थे इसके अलावा तत्कालीन हरीश रावत सरकार में भी आंदोलनकारियों के हितों का दौर जारी रहा जिसके बाद लगातार राज्य आंदोलनकारियों की अनदेखी होती रही वही पत्रकारों से वार्ता करते हुए ललित कांडपाल ने कहा कि राज्य गठन के समय प्रदेश के तमाम आंदोलनकारियों सहित महिलाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था साथ ही बहुत से लोगों ने आंदोलन के समय अपनी शहादत दी थी और इसकी शुरुआत खटीमा से ही प्रारंभ हुई थी।

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उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में पुष्कर सिंह धामी राज्य के मुख्यमंत्री हैं और उन्होंने भी बहुत संघर्ष किया है ऐसे में तत्कालीन एनडी तिवारी के कार्यकाल के बाद अब सिर्फ मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से ही उन्हें और तमाम आंदोलनकारियों को उम्मीद है कि उनके शासनकाल में आम जनमानस से लेकर राज्य आंदोलनकारियों का भला होगा। उन्होंने तत्कालीन एनडी तिवारी सरकार के कार्यकाल के अलावा मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कार्यकाल की सराहना करते हुए कहा कि इनके समय में ही राज्य आंदोलनकारियों का भला हुआ है या फिर भविष्य में हो सकता है इसके अलावा जो लोग भी सत्ता पर काबिज रहे उनके कार्यकाल के दौरान राज्य आंदोलनकारियों की सिर्फ और सिर्फ अनदेखी हुई है।

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उन्होंने एक राज्य आंदोलनकारी होने के नाते पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि उत्तराखंड को मौजूदा समय में सख्त भू-कानून की आवश्यकता है इसके अलावा स्थाई राजधानी के मुद्दे पर भी सरकार को विशेष ध्यान देना चाहिए, पंतनगर विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिए जाने का प्रयास किया जा रहा है जो उत्तराखंड के निवासियों के साथ न्याय संगत नहीं है यदि ऐसा हुआ तो प्रदेश के छात्र छात्राओं को बेहतर शिक्षा नहीं मिल पाएगी क्योंकि केंद्रीय विश्वविद्यालय होने के बाद प्रदेश के छात्रों को 70% का आरक्षण होता है समाप्त हो जाएगा एवं देश भर के छात्रों को यहां शिक्षा प्रदान की जाएगी ऐसे में राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप यहां के छात्र छात्राएं अपने को ठगा महसूस करेंगे। राज्य स्थापना के बाद स्थाई राजधानी के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि अब तक किसी भी सरकार ने इस मामले पर ठोस निर्णय नहीं लिया है ऐसे में खामियाजा आंदोलनकारी एवं प्रदेश की आम जनता भुगत रही है।

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उन्होंने कहा कि 2022 के विधानसभा चुनावों में जो सरकार आंदोलनकारियों के हित को ध्यान में रखकर व काम करेगी उसका वह एवं तमाम आंदोलनकारी करेंगे इधर किच्छा विधानसभा में विकास कार्यों के मुद्दे पर उन्होंने मौजूदा विधायक राजेश शुक्ला की तारीफ करते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में किच्छा विधानसभा चहुमुखी विकास की ओर अग्रसर है और इच्छा विधानसभा का स्वरूप भी राज्य गठन के बाद से अब तक काफी बदल चुका है इसके लिए वह है क्षेत्रीय विधायक राजेश शुक्ला को भी धन्यवाद देते हैं।

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Author (संपादक)

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